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________________ प्राचीनलैनलेखसंग्रहे ( 3 ) धिराज श्रीरामदासमान्य मं० सुंदर भार्यया दो० रत्ना भार्या जीविीणपुच्या श्राविक्रया ___(4) पित्तलमय ४१ अंगुलप्रमाण प्रथमजिनमूलनायकपरिकरे श्रीशीतलनाथवि कारितं (5) प्रतिष्ठितं तपागच्छनायनायक श्रीसोमसुंदरमूरिपट्टे श्रीमुनिसुंदरसूरि श्रीजयचंद्रसूरि तत्प (6) हे श्रीरत्नशेखरसरिपट्टप्रभाकर श्रीलक्ष्मीसागर सूरिभिः श्रीसुधानंदन[ सूरि ] श्रीसोमजयसृरि (7) महोपाध्याय श्रीजिनसोमगणि प्रमुखपरिवारपरिवृतैः ।। श्री ॥ सूत्रधार मंडन सुत ( 8 ) मुतार देवा.......... (२५२) ( 1 )......... ( 2 ) डुंगरसिंहराज्ये गुर्जरसाइ भीमप्रासादे गुर्जरज्ञातीय............ (3) ..मं० सुंद्र सुत मंत्रीश्वर गदा भार्यया सा० हीरा भार्या मदी पुत्र्या (4) थाम्नाम्न्या पुत्र श्रीरंग वाघादि परिवृतया पिचलमय ४१ अंगुल प्रमाण प्रथम-~-- (5) तीर्थंकर मूलनायकपरिकरे श्रीवासुपूज्यविवं कारितं
SR No.010442
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages592
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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