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________________ समाज दर्शन गुजरात खण्ड में रहने वाले कुछ पल्लीबास खेताम्बर मूर्ति पूजक हो गये। प्राज कन ये लोग जगरौठो क्षेत्र (यानि कि भरतपुर, खेडली गज, हिन्डोन, सवाई माधोपुर मादि) में रहते हैं। पल्लीवाल जाति मे श्वेताम्बर मूर्ति पूजको के अतिरिक्त स्थानक वासी लोग भी पाये जाते है। यथासभव लगभग 200 वर्ष पहले श्वेताम्बर मूर्ति पूजक लोगो मे से ही कुछ लोग स्थानक वासी ग्राम्नाय को मानने लगे। आज भी जैन धर्म की विभिन्न आम्नायो को मानने वाले लोग इस जाति मे हैं, लेकिन सामाजिक एकता में अलग-अलग आम्नायो को मानना बाधक नही है तथा एक दूसरे में शादीविवाह होते है। __ आज से 70-80 वर्ष पहले कुछ पल्लीवाल 'प्रार्य-समाज' धर्म को मानने लगे थे, लेकिन पिछले 40 वर्षों से इस जाति मे कोई भी प्रार्य समाजी नही है । (4-6) पल्लीवालो द्वारा निर्मित जैन मन्दिर : पल्लीवालो द्वारा निर्मित बहुत से जैन मन्दिर स्थित है। उनमे दिगम्बर एक श्वेताम्बर दोनो ही माम्नामो के मन्दिर सम्मिलित हैं। कन्नौज में दो दिगम्बर जैन मन्दिर हैं, उनमें से एक 503-600 वर्ष प्राचीन है। कहते हैं कि यह मन्दिर महोवा (उप्र) के सुप्रसिद्ध बीर गोडा पाहा तथा ऊदल के पिता के समय का है। अलीगढ़ में भी तीच दिसम्बर जैन मन्दिर हैं। फिरोजाबाद में चार दिगम्बर न मन्दिर हैं। फिरोजाबाद के जैन नगर में स्थित दि जैन मन्दिर पति विशाल है, उसमें स्थित एक हि 45 फुट अवाहना वाली भगवान बाहुवलो की मूर्ति है।
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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