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________________ 43 पल्लीवाल जाति के ऐतिहासिक प्रसग ____ 'धर्मरत्न', वर्ष 1 अक 12 (सन् 1937) में कई शिलालेखो/ मूर्तिलेखो का वर्णन है। इनका सकलन मुनि श्री दर्शन विजय जी महाराज ने किया था। पल्लीवाल बन्धुप्रो द्वारा स्थापित मूर्तियो के लेख निम्न प्रकार हैं(1) श्री गिरनार तीर्थ मे जिनेन्द्र-प्रतिमा पर शिलालेख है 160॥ सवत् 135 6 वर्षे ज्येष्ठ शुदि 15 शुक्रे श्री पल्लीवाल ज्ञातीय श्रेष्ठी पासु सुत साहु पद्म भार्या तेजला ... तेन कुलगुरु श्री स्मनिमुनि प्रादेशन श्री मुनिसुव्रत स्वामी देवकुलिका पितामह श्रेयो ..' (लि० ओ० रि० इ० वॉ० प्रे० पृ० 363, 3-57) (2) पाटण (गुजरात) मे कनासा पाढा के जिनालय मे भगवान श्री शान्तिनाथ जी के गर्भगृह की जिन प्रतिमा का शिलालेख 'मवत् 1371 वर्षे आसाढ शुदि 8 रवी श्री पल्लीवाल ज्ञातीय उ० - " श्री आदिनाथ बिब का० प्र०।' (B 328) (3) पालीताना (काठियावाड) मे गोडी जी पार्श्वनाथ के मन्दिर जी की जिन-प्रतिमा पर शिलालेख'सवत् । 383 वैसाख वदी 7 सोमे पल्लीवाल पद्म भा० कोल्हण देवि श्रेयसे सुत कीकमेन श्री महावीर वि० कारित प्रति । (N 657) (4) आगरा में पचतीर्थी प्रतिमा का शिलालेख- (अर्थ) 'वि०स० 1396 मे पल्लीवाल भीम के पुत्र सेल और तज ने भ० शान्तिनाथ जी की प्रतिमा बनवाई जिसकी गजगच्छीय मा० हसराज सूरिजी ने प्रतिष्ठा की।' (A-18)
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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