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________________ (R) नुभावो को पुस्तको/लेखो की सहायता ली है, उनका भी मैं बहुत आभारी हूँ। प्रस्तुत इतिहास के प्रकाशन मे स्वाध्याय प्रेमी प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्री महावीर प्रसाद जी जैन (रिटायर्ड थानेदार, अलवर) की प्रमुख भूमिका रही है। उनके अथक परिश्रम के फलस्वरूप बहुत थोडे समय मे ही इसका प्रकाशन सम्भव हो सका है। बृद्धावस्था के वावजूद भी उन्होने अलवर, जयपुर, दिल्ली, फरीदाबाद, आगरा तथा फिरोजाबाद मे स्वय जाकर विभिन्न महानुभावो से सम्पर्क किया। उन्होने इतिहास के प्रति लोगो मे रुचि पैदा की तथा प्रकाशन के लिए आवश्यक धन एकत्रित किया। उनके इस कार्य के लिए भो मै उनका बहुत आभारी हूँ। स्व० श्री अगर चन्द जी नाहटा के निम्न शब्दो के साथ मै अपना निवेदन समाप्त करता हूँ-- 'अपने पूर्वजो के गौरव से हमे बहुत प्ररणा मिलती है। हमे उनका अनुसरण करते हुए कुछ विशेष कार्य करने चाहिए तथा उन्होन अपना जो गोरव स्थापित किया ह उसमे कमी नही आने देना चाहिए। कोई बरा या गलत कार्य हममे ऐमा न हो जाय कि पुर्खाग्रो के मुयश को बट्टा लगे । इस तरह की प्रेरणा जातीय इतिहास से मिलती रहती है । अत उसकी खोज करके प्रकाश मे लाने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए।' मूल निवासी -डॉ० अनिल कुमार जैन (21/194, लिया गज, सहायक निदेशक आगरा-282003 ( उ० प्र०)। तेल एव प्राकृतिक गैस आयोग दि. 24 फरवरी 1983) अकलेश्वर 313010 (गुजरात)
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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