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________________ समाज दर्शन 77 रिया मु. परिखम, दीपचन्द व रतनलाल मु. हसेला, नरायनप्रसाद मु० लडागडा, ताराचन्द मुकुथरौ,, नकटाराम मु० कुथरी, झम्मन लाल मु० कुथरो, मुरलीधर मु० कुथरी, छोटेलाल मु० कठवारी, बिरधीलाल मु० भिलावटी, पीनामल मु० रहपुरा अहीर, डूंगरसिंह मु० रहपुरा, अहीर, इमरता मु० कासौठी, परसादी मु० कासोठी, बलवतसिंह मु. मई, मोतीलाल मु० मई, टीकाराम मु० रायभा, मूलचन्द मु० मगरा, घनश्याम दास मु० खेरासाधन, रामचन्द मु० पनवारी, किरोरी मल मु० आगरा, माईथान, मुन्शी नन्दकिशोर व चन्द्रभान, पन्नीलाल मु० बस्तई, शिवचरन म० रायभा, चिरजीलाल मु० मिढाकुर, शकरलाल मु० मिढाकुर, कल्लूराम व चोखेलाल मु. मिढाकुर छिद्दामल मु० डाबली, जीवाराम मु. डाबली, गोपीचन्द मु० रहपुरा जाट, परसादीलाल मुनीम मु० रहपुरा जाट, गनेशीलाल मु० रायभा, उत्तमचन्द मु० भुडुरूसू, छिद्दा मु० नगला अकपुरा, तोताराम मु० किरावली, भूपाल मु. किरावली, मनेसीलाल मू० वसईया, मटरेमल म० अागरा, कन्हैयालाल मु० बसईया, मगनपत मु० अदूस, रामनद मु० पनवारी, बिहारीलाल मु० झनकता, कन्हीयालाल मु० धनौली रामचन्द मु० गोपऊ, फतेलाल मु० महदऊ, गगाधर मु० उमेदीपुरा, सकरलाल मु० सजा का नगरा, नरायन परसाद मु० गढी चन्द्रमन । यह पुस्तक कई मामलो मे बहुत महत्वपूर्ण है। एक तो इससे उस समय के प्रचलित रीति-रिवाजो का पता चलता है। दूसरे इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन समय में हमारे पूर्वज समयसमय पर मीटिंग (सभा) प्रायोजित किया करते थे तथा समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया करते थे। इस प्रकार की मीटिंग मे सम्मिलित होने के लिए सभी गांवो से लोग आया करते थे। आने जाने के माधनो का प्रभाव होने पर भी काफी
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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