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________________ 74 पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास ब्रह्मचारी वाले ) सूरज मास्टर हजारीलाल जी ( ग्रटरू श्री रामचद्र जी, प० रामनाथ जी, श्री भान 'प्रेम', मास्टर रामसिंह जी, श्री सुमेरचद जी 'भगत' तथा श्री किरोडीमल जी के नाम उल्लेखनीय हैं। गैर-पल्लीवालो में यहाँ की शैली के प्रमुख सदस्यो मे मुन्शी गेदालाल तथा मुन्शी कामता प्रसाद हैं (दोनो पद्मावती पुरवाल जाति के है) के नाम मुख्य है । प० रामनाथ जी पहले दूध का व्यापार करते थे, प्रत दूध वाले के नाम से विख्यात हो गये थे। बाद में ये अन्धे हो गए थे । लेकिन इसके बावजूद भी इन्होने जैन समाज का बहुत उपकार किया । इन्होने मन्दिर जी मे 'महिला ज्ञान मण्डल' की स्थापना कराई तथा बहुत-सी अनपढ महिलाओ को इन्होने भक्ताम्बर स्त्रोत तथा तत्वार्थ सूत्र कठस्थ कराये तथा उन्हे धार्मिक शिक्षाये दी। गुजरात मूल के ब्रह्मचारी श्री मृलशकर देसाई जी के अथक प्रयासो से लगभग सन् 1965 में यहाँ धार्मिक कक्षाये प्रारम्भ की गई। बच्चो को यहाँ विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा दी जाती थी । (4-8) साहित्यिक क्षेत्र मे पल्लीवाल- जाति का योगदान पल्लीवाल जाति मे शास्त्र स्वाध्याय की परम्परा बहुत पुरानी है । इसी कारण आज भी बहुत से पल्लीवाल घरो मे सौ डेढ सौ वर्ष पुराने हस्तलिखित ग्रन्थ मिल जाते है । पहले समय मे शास्त्र आदि के प्रकाशन की व्यवस्था नही थी । प्रत. विभिन्न शास्त्रो की अपने हाथ से ही नक्ल करनी पडती थी। बहुत से पल्लीवाल बन्धुओ ने भी इस कार्य को किया । सौ वर्ष पुराने कई शास्त्र डा प्यारेलाल जी, आगरा के यहाँ पर भी उपलब्ध हैं । कई पुस्तको की नकल मगुरा (आगरा) के श्री नन्दकिशोर जी ने मी
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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