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________________ पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास जगरौठी क्षेत्र के पोनोग, सिर्सका खेडली, पटौंदा, उगेर आदि गांवो में प्राज श्वेताम्बर मंदिर हैं। भरतपुर तथा डीग में भी श्वेताम्बर मदिर हैं। जगरोठी क्षेत्र के हिन्डौन, करौली, गगापुर सिटी, शेरपुरा शेखपुरा आदि स्थानो पर भी श्वेताम्बर मदिर हैं। पल्लीवालों द्वारा निर्मित कई स्थानक भी हैं तथा ये भरतपुर तथा हिण्डौन में स्थित हैं। एक स्थानक आगरा में भी था, लेकिन अाजकल वहाँ नही है। विभिन्न मूर्ति-लेखो से प्रतीत होता है के पुराने समय में गुजरात में भी पल्लीवालो द्वारा निर्मित श्वेतार तथा दिसम्बर दोनो ही अम्नायो के मन्दिर होने चाहिएँ, किन माज इनका कोई अस्तित्व दिखाई नहीं देता है। ये मन्दिर गुजरात के पाटन, मेहसाना, अहमदाबाद, काठियावाड, भरूच तथा सूरत प्रादि नगरो मे होने चाहिए। (47) धूलिया गज, प्रागरा स्थित दिगम्बर जैन मंदिर तथा प्राध्यात्मिक संली - आगरा मे पल्लीवालो का आगमन लगभग दो सौ वर्ष पहले से ही प्रारम्भ हो गया था। ये पल्लीवाल प्रागरा के धूलिया गज नामक स्थान में रहते थे। प्रारम्भ मे ही इनको धर्मध्यान में विशेष रूचि थी। उस समय धूलिया गज मे मदिर नही था। प्रत सभी पल्लीवाल बेलनगज (प्रागरा) के दि० जैन मदिर मे दर्शन तथा पूजन करने जाते थे। धूलिया गज तथा बेलनगज की जैन समाज सामहिक रूप से पूजा-प्रक्षाल आदि करती थी। कहते है कि एक बार कुछ पल्लीवाल बन्युमो को मन्दिर पहुंचने में देर हो गई, अत. बेलस गंज के गैर-पल्लीवाल जैन बग्घुषों ने पूजा-पाठ प्रारम्भ कर दिया। देर से पहुंचे पल्ली
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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