SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जई अव्यय = नहीं मुगिनो (मुण→मुरिणय) भूकृ 1/1 =समझे गये (अस) व 2/1 अक देहमज्झम्मि [(देह)-(मज्म) 7/1] -देह के अन्दर, देह मे अव्यय -यदि मुरिणउ (मुण→मुरिणय) भूक 1/1 =समझे गये अव्यय तो केण (क) 3/1 स =किसके द्वारा णवज्जए (एवज्जए) व कर्म 3/1 मक अनि = नमस्कार किया जाए कस्स (क) 4/1 स -किसको ता 77 ता अव्यय -तब तक संकप्पवियप्पा [(मकप्प)-(वियप्प) 1/2] =सकल्प-विकल्प कम्म (कम्म) 2/1 -कर्म प्रफुरणतु (अकुरण→अकुणत) वकृ 1/I =न करते हुए सुहासुहाजरणय [(मुह) + (असुहा)+(जग्णय)=शुभ-अशुभ को उत्पन्न [(सुह)-(असुह)-(जरणय) करनेवाला 2/1 वि अप्पसस्वासिद्धि [(अप्प)-(सम्वा)-(सिद्धि) 1/1]=प्रात्म-स्वरूप की सिद्धि जाम अव्यय जब तक अव्यय नहीं हियर (हियन)7/1 -हृदय में परिफुरद (परिफुर) व 3/1 अक स्फुरित होती है 78 अवघउ (अवधय) || '' स्वायिक अहिना अक्सर (अरपर) 1/1 वि अव्यय उप्पज्जई (उप्पज्ज) व 3/1 अक =उत्पन्न होती है (अणु) 11 वि -थोडा वि अव्यय ममाम में कभी-कभी ह्रस्व का दीर्घ हो जाता है। 661 [ पाहुइदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy