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________________ वि परेहि सोल गिरतरु तह अव्यय (घर) विधि 2/1 सक (सोक्ख) 2/1 (रिणरतर) 2/1 वि अव्यय (लह) व 2/1 सक अव्यय (समार) 2/1 (तर) व 2/1 सक धारण कर -सुख को =निरतर =वहां -पाता है (पायेगा) -शीघ्र =ससार को =पार करता है (करेगा) लहहि लह ससार तरेहि 75 पुण्णेण होइ विहस्रो विहवेरप मनो मएण महमोहो मइमोहेप (पुण्ण) 3/1 (हो) व 3/1 अक (विहा) 1/1 (विहव) 3/1 (मन) 1/1 (मन) 3/1 [(मइ)-(मोह) 1/1] [(मइ)-(मोह) 3/1] अव्यय (णरय) 1/1 (त) 1/1 सवि (पुण्ण) 1/1 (अम्ह) 4/1 स अव्यय (हो) विधि 3/4 अक -पुण्य से =होता है -वैभव =वैभव से -मद -मद से -बुद्धि की मूर्छा (मतिमोह) -बुद्धि की मूर्छा से -और -नरक णरय पुण्ण अम्ह -पुण्य -मेरे लिए मा =होवे नमस्कार किए हुए 76 एमिनो सि ताम जिणवर जाम (णम→गमित्र) भूकृ 1/1 (अस) व 2/1 अक अव्यय (जिणवर) 8/1 अव्यय -तब तक =हे जिनेन्द्र -जब तक राहुढदोहा चयनिका । [ 65
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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