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________________ विरिणम्मिय =निर्मित हुए कम्मडा (वि-रिणम्म वि-णिम्मिय) भूक 1/2 (कम्म+अड) 1/2'अड' स्वा (जइ) 1/1 (पर) 2/1 वि (फेड) व 3/1 सक (त) I/1 सवि अव्यय फर्म यति =पर को -दूर हटाता है -वह फेडह अप्पहा अव्यय -यदि (वार) व 1/1 सक -रोकता हूँ अव्यय -तो अव्यय -वहाँ अव्यय (पर) 2/1 वि -पर को (अप्प) 6/2 -प्रात्मा को (मण) 2/1 मन को अव्यय =नहीं (घर) व 3/1 मक =धारण करता है (विसय) 6/2 =विषयो के (कारण--(स्त्री) कारणी) 1/1 =कारण (जीव+अड) 1/1'अड' स्वा. =जीव (णरय) 6/2 नरको के (दुक्ख)2/2 -दुखों को (सह) व 3/I सक = सहन करता है घरेइ विसयह कारणि जीवडर रगरयह दुक्ख सहेइ 65 जीव (जीव) 8/1 अव्यय -हे जीव =मत । कभी-कमी द्वितीया के स्थान पर पष्ठी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या 3-134)। पाहुडदोहा चयनिका ] [ 59
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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