SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ -महान -सूर्य दियरु हिमकरण दीवउ देउ (गुरु) 1/1 वि (दिणयर) 1/1 (हिमकरण) 1/1 (दीवन) 1/1 (देश) 11 [(अप्प-→अप्पा)-(पर)6/2] (परपर) 6/2 (ज) 1/1 मवि (दरिस-→दरिसाव) व ने 3/1 सक (भेन) 2/1 -चन्द्रमा -दीपक =देव =स्व भाव और पर भाव की -परपरा के प्रप्पापरह परपरह दरिसाव =समझाता है ਮੇਰ =भेद को प्रप्पायत्तउ -जो [(अप्प)+ (आयत्तउ)] =स्वय के अधीन [(अप्प)-(प्रायत्त अ) भूक 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक] (ज) 1/1 सवि अव्यय =भी (मुह) 1/1 (त) 3/1 स -उससे अव्यय (कर) विधि 2/1 मक =कर (मतोस) 2/1 =सतोष करि संतोसु 1. ममान मे ह्रस्व का दीर्घ हो जाता है (हे प्रा व्या 1-4)। 26 ] [ पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy