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________________ 86 87 88 89 90 91 92 24 ] मूढा जोवइ देवलई लोर्याह जाई कियाई देह ण पिच्छ श्रप्पणिय जह सिउ सतु ठियाइ || देहादेवलि सिउ वसई तुहु देवलई रिएहि । हासउ महु मणि प्रत्थि इहु सिद्धे भिक्ख भमेहि ॥ जिणवरु झायहि जीव तुहु विसयकसायह खोड दुक्खु ण देक्खहि कह मि वढ अजरामरु पउ होइ ॥ इदियपसरु णिवारियइ मण जाणहि परमत्यु अप्पा मिल्लिवि णाणमउ अवरु विडाविड सत्यु || विसया चिति म जीव तुहुं विसय ण भल्ला होति । सेवंताहं वि महर वढ पच्छई दुक्खइ दिति ॥ भवि भवि दंसणु मलर हिउ भवि भवि करउ समाहि । भवि भवि रिसि गुरु होइ महू हियमणुब्भववाहि ॥ वेपथेह ण गम्मइ वेमुहसूई ण सिज्जए कथा । विणि रग हंति अपारणा इदियसोक्खं च मोक्ख च ॥ [ पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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