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________________ नेमिनाथ चरित्र सबोंका परिचय कराया। राजकुमारके साथ जो भूचर ओर खंचर राजे आये थे, वे कई दिन तक राजा हरिनन्दी का आतिथ्य ग्रहण करते रहे। इसके बाद उन सवोंको सम्मानपूर्वक बिदा कर राजकुमार अपराजित अपने मातापिताको आनन्दित करते हुए वहीं अपने दिन निर्गमन. करने लगे। ____ उधर मनोगति और चपलगति दोनों महेन्द्र देवलोकसे च्युत होकर अपराजितके सूर और सोम नामक लघु बन्धु हुए। कुछ दिनोंके बाद राजा हरिनन्दीने 'समस्त राज्य-भार अपराजितको सोंपकर स्वयं दीक्षा लेली. और दीर्घकाल तक तपस्या कर अन्तमें उन्होंने परमपद प्राप्त किया । इधर राजा अपराजितने प्रोतिमतीको पटरानी, विमलबोधको मन्त्री और अपने दोनों लघु बधुओंको माण्डलिक राजा बना दिया। वह राज्य-शासनमें सदा न्याय और नीतिसे काम लेता था, इसलिये प्रजाका प्रेम सम्पादन करनेमें भी उसे देरी न लगी। इस प्रकार प्रजापालन करते हुए राजा अपराजितके दिन आनन्दमें, 'कटने लगे। उन्होंने दीर्घकाल तक शासन किया और
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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