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________________ ........... उन्नीसो परिच्छेद आनन्दित होते हो। जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नामक एक नगर है। यहाँके पञ्च पाण्डवोंकी पटरांनी द्रौपदी इतनी सुन्दर है, कि उसके सामने तुम्हारी यह सब रानियाँ दासी तुल्य प्रतीत होती हैं।" ...इतना कह नारद तो अन्तर्धान हो गये, परन्तु पद्मनाभके हृदयमें इतनेहीसे उथलपुथल मच गयी। वह द्रौपदीको अपने अन्तःपुरमें लानेके लिये अत्यन्त उत्सुक हो उठा। परन्तु द्रौपदीको लाना कोई सहज काम ने था। इसलिये वह अपने पूर्वपरिचित एक पातालवासी देवकी आराधना करने लगा। आराधनासे प्रसन्न हो, उस देवने प्रकट होकर पूछा:-हे पद्मनाम! तुमने मुझे किसलिये याद किया है ?" - पनाभने कहा :-"नारद मुनिने जवसे द्रौपदीके रूपकी प्रशंसा की है तभीसे मैं उसपर अनुरक्त हो रहा हूँ। अतएव · आप मुझपर दयाकर, जैसे भी हो, उसे मेरे पास ला दीजिये।" ... देवने कहा :-"द्रौपदीकी गणना महासतियोंमें की जाती है। यह पाण्डवोंके सिवा स्वममें भी अन्य
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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