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________________ qv नेमिनाथ चरित्र ommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmineminiximmipinionair अभिचन्द्रके यह वचन सुनकर हिरण्यनाभनेकोषपूर्वक उसपर कई बाण छोड़े, परन्तु अर्जुनने उनको बीचहीमें काट दिया। अर्जुनका यह कार्य देखकर हिरण्यनाभने उनपर भी कई वाण छोडे, परन्तु इसी बीच भीमसेन वहाँ आ पहुंचे और उन्होंने गदाका प्रहार कर हिरण्यनामको रथसे नीचे गिरा दिया। हिरण्यनाभ इससे लजित होकर दूसरे स्थपर बैठ गया और क्रोधपूर्वक यादव सेना पर ऐसी वाणवृष्टि करने लगा, कि जिससे एक भी ऐसा आदमी न बचा, जिस पर कहीं चोट न आयी हो। उसकी इस बेढब मारसे यादवसेनामें खलबली मच गयी। हिरण्यनामकी यह उद्दण्डता देखकर समुद्रविजयका पुत्र जयसेन ऋद्ध हो उठा और धनुप खींच कर उससे युद्ध करनेको तैयार हुआ। यह देखकर हिरण्यनाभने कहा :- "हे जयसेन ! तू व्यर्थ ही मरनेके लिये क्यों तैयार हुआ है !" यह कहनेके साथ ही उसने जयसेनके सारथीको मार डाला। इससे जयसेनने तुरन्त उसके कवच, धनुष और ध्वजको छैद कर उसके सारथीको मार डाला। जयसेनके इस कार्यने हिरण्यनामकी क्रोधानिमें
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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