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________________ चौदहवा परिच्छेद ६०९ करे ! उनके इस कार्यसे चारों ओर हाहाकार मच' गया। शीघ्रही कृष्णने भी यह समाचार सुना। वे कहने लगे कि, न जाने कौन दुर्मति अपना प्राण देने आया है। यह कहते हुए वे तुरंत बलराम और कुछ सैनिकोंको साथ लेकर प्रद्युम्नके पीछे दौड़ पड़े। प्रद्युम्न तो उनके आगमनकी वाट ही जोह रहा था। उसने एक ही वारमें समस्त सैनिकोंके दाँत खट्टकर, कृष्णको शस्त्र रहित वना दिया। इससे कृष्णको बहुत ही आश्चर्य और दुःख हुआ। ___ इसी समय कृष्णकी दाहिनी भुजा फड़क उठी। कृष्णने यह हाल वलरामसे कहा। इसी समय नारदने उनके पास आकर कहा :- "हे कृष्ण ! अब युद्धका विचार छोड़ दीजिये और रुक्मिणी सहित अपने इस पुत्रको अपने मन्दिरमें लिया ले जाइये। यही आपका वह खोया हुआ धन प्रयु नकुमार है !" ___ ज्योंही नारदमुनिने कृष्णको प्रद्युम्नका यह परिचय दिया, त्यों ही प्रद्युम्न भी रथसे उतर कर कृष्णके चरणों पर गिर पड़ा। कृष्णने अत्यन्त प्रेमसे उसे उठा कर अपने गलेसे लगा लिया। पिता और पुत्रका यह मिलन
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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