SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यादवों परिच्छेद सब बातें जरासन्धको कह सुनायीं। सुनते ही जरासन्ध क्रोधसे आग-बबूला हो उठा। उसे ऋद्ध देखकर उसके पुत्र कालकुमारने कहा :- हे तात! आपके सामने वे डरपोक यादव किस हिसाबमें हैं ? यदि आप आज्ञा दें, तो मैं उन्हें समुद्र या अग्निसे भी खींचकर मार सकता हूँ। यदि मैं इस प्रतिज्ञाके अनुसार काम न करूंगा, तो अग्निप्रवेश कर अपना प्राण दे दूंगा और आपको भी अपना मुख न दिखाऊँगा।" पुत्रके यह वीरोचित वचन सुनकर जरासन्धे बहुत "ही प्रसन्न हुआ। उसने उसी समय कालकुमारको पाँच सौ राजा और अगणित सेनाके साथ यादवों पर आक्रमण करनेके लिये रवाना किया। कालकुमारके साथ उसका भाई यवन सहदेव भी. था। इन लोगोंको चलते समय तरह तरहके अपशकुन हुए। यवन सहदेवंने उनकी ओर कालकुमारका ध्यान भी आकर्षित किया, किन्तु उसने उसकी एक न सुनी। वह तेजीके साथ रास्ता काटते हुए सदलबल शीघ्र ही विन्ध्याचलंकी तराईमें यादवोंके समीपं जा पहुंचा।
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy