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________________ नमिनाथ-चरित्र देवकीके घर जा पहुंचे। देवकीने उनका आदर सत्कार कर यथाविधि उनका पूजन किया। इसपर नारदने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा :-"है जुमारी ! मैं आशीर्वाद देता हूँ, कि तुम्हारा विवाह वसुबके साथ हो !" देवकीने सञ्जवाते हुए पूछा:-"भगवन् ! वसुदेव कौन हैं ? ___ नारदने कहा :- "कामदेवको भी लजित करनेवाले, युवक शिरोमणि, विद्यापरियों के प्रिय पात्र, दसवें दशाह वसुबना नाम क्या तुमने नहीं सुना ? उसका नान तो बच्चे तक जानते हैं। हे सुन्दरि ! आज संसारमें दूसरा कोई ऐसा पुरुष नहीं है, जो रूप और सौभाग्यमें उसके सामने ठहर सके। इसीलिये तो देवता भी उससे ईर्ष्या करते हैं।" ___ इतना कह नारद मुनि अदृश्य हो गये। किन्तु उनकी शतांसे देवकीके हृदयमें वसुदेवने सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर लिया। वह मन-ही-मन उनपर अनुरक्त हो गयी और उन्हीं ध्यानमें रात दिन निमग्न रहने लगी। कुछ ही दिनोंमें वसुन और कंस भी वहां जा
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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