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________________ नेमिनाव-चरित्र चलो ओर इस मलीन वेशको त्याग कर राजकन्याकी भाँति ऐश्वर्य भोग करो।" दमयन्ती ऐश्वर्यके प्रलोभनसे तो लुन्ध न हुई, किन्तु रानीने उसे पुत्री बनाकर आश्रय देनेको कहा था, इसलिये वह उसी समय दासियोंके साथ चन्द्रयशाके पास चली गयी। - चन्द्रयशा दमयन्तीकी सगी मौसी थी, परन्तु दमयन्तीको इस बातका कुछ भी पता न था। दूसरी ओर · चन्द्रयशाको यह बात मालूम थी, कि उसकी बहिनके दमयन्ती नामक एक लड़की है, उसने बाल्यावस्थामें उसे देखा भी था, किन्तु इस समय न तो वह उसे पहचानती ही थी, न उसे इसी वातका पता था कि यह दमयन्ती ही है। - इस प्रकार यह आत्मीयता अज्ञात होने पर भी, चन्द्रयशाने जब दमयन्तीको देखा, तो उसके हृदयमें वात्सल्यभाव उमड़ आया । दमयन्तीकी भी यही अवस्था हुई। उन दोनोंका हृदय उसी अज्ञात सम्बन्धके कारण लोह चुम्बककी भाँति एक. दसरेके प्रति आकर्पित होने
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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