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________________ २२४ नेमिनाथ चरित्र इसे एक परिव्राजकने वश कर लिया था, इसलिये राजाने उसे मरवा डाला। किन्तु उसके वशीकरणका प्रभाव इसपर इतना अधिक पड़ा कि यह अवतक उसकी हड्डियाँ धारण किये रहती है।" ___ यह सुनकर वसुदेवने अपने मन्त्रबलसे उसके वशीकरणका प्रभाव नष्ट कर दिया। इससे वह फिर अपने पति राजा जितशत्रुके पास चली गयी । राजा जितशत्रुने इस उपकारके बदलेमें वसुदेवके साथ अपनी केतुमती नामक वहिनका विवाह कर दिया। वसुदेव वहीं ठहर गये और उसका आतिथ्य ग्रहण करने लगे। धीरे-धीरे यह समाचार राजा जरासन्धके कानों तक जा पहुँचा । उसने डिम्भ नामक द्वारपालको राजा जितशत्रुके पास भेजकर वसुदेवको बुला भेजा। डिम्भ सवारीके लिये एक रथ भी लाया था । वसुदेव उसीमें बैठ उसके साथ राजगृह नगरमें गये। परन्तु वहाँ पहुँचते ही राजकर्मचारियों ने उन्हें कैद कर लिया। इस अकारण दण्डका कारण पूछने पर उन्होंने बतलाया कि एकज्ञानीने जरासन्धसे कहा है कि जो नन्दिषेणाको वशीकरणके
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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