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________________ नैष्कर्म्यसिद्धिः अथ नैष्कर्म्यसिधौ तृतीयोऽध्यायः सर्वोऽयं प्रमितिप्रमाणप्रमेयप्रमातृत्वलक्षण आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तो मिथ्याध्यास एवेति बहुश उपपत्तिभिरभिहितम् । आत्मा च जन्मादिषड्भाव-विकारवर्जितः कूटस्थबोधः एवेति स्फुटीकृतम् । तयोश्च मिथ्याध्यासकूटस्थात्मनो ऽन्तरेणाऽज्ञान सम्बन्धोऽन्यत्र चोदनापरिप्रापितात् यथा-'इयमेव ऋगग्निः साम' इति । तच्चाऽज्ञानं स्वात्ममात्रनिमित्तं न सम्भवति इति कस्यचित् कस्मिंश्चिद् विषये भवतीत्यभ्युपगन्तव्यम् । इह च पदार्थद्वयं निर्धारितमात्माऽनात्मा च । तत्राऽनात्मनस्तावन्नाऽज्ञानेनाऽभिसम्बन्धः तस्य हि स्वरूपमेवाऽज्ञानम् । न हि स्वतोऽज्ञानस्याज्ञानं घटते, सम्भवदप्यज्ञानस्वभावेऽज्ञानं कमतिशयं जनयेत् ? न च तत्र ज्ञानप्राप्तिरस्ति, येन तत्प्रतिषेधात्मकमज्ञानं स्यात् । अनात्मनश्चाऽज्ञानप्रसूतत्वात् । न हि पूर्वसिद्धं सत्ततो लब्धा मलाभस्य सेत्स्यत आश्रयस्याऽऽश्रयि सम्भवति । तदनपेक्षितस्य च तस्य निःस्वभावत्वात् । एतेभ्य एव हेतुभ्यो नाऽनात्मविषयमज्ञानं सम्भवतीति ग्राह्यम् । यह समस्त प्रमा ( यथार्थज्ञान ) प्रमाण ( यथार्थज्ञानका साधन ), प्रमेय और प्रमाता ( जाननेवाला ) इत्यादिरूप, ब्रह्मासे लेकर क्षुद्र कीट पर्यन्त, संसार मिथ्यारूर ही है, इस बातको अनेक युक्तियों के द्वारा कहा। और आत्मा छः प्रकार के भाव विकारोसे रहित, कूटस्थ ज्ञानरूप ही है, यह भी स्पष्ट कर दिया। और यह भी कह दिया है किमिथ्याभ्रान्तिरूप संसार और कूटस्थ आत्मा, इन दोनोंका सम्बन्ध अज्ञान के बिना नहीं है। हाँ, जहाँपर श्रुतिने उपासना के लिए अभेदका प्रतिपादन किया है। जैसे- इयमेव ऋक अग्नि: साम' यहाँ पर पृथवीमें ऋक् दृष्टि और अग्नि में सामकी दृष्टि करने के लिए ही पृथिवीमें ऋकका और अग्निमें सामका अभेद न होनेपर भी अभेद दिखलाया है, ऐसे स्थलों में अज्ञानके बिना भी सम्न्ध हो। परन्तु इन स्थलोको छोड़कर अन्यत्र तो अज्ञानके बिना कभी भी सम्बन्ध नहीं होता, यह सिद्धान्त है। किन्तु उस अज्ञानकी -उपपत्तिभिरभिरहितम् , भी पाठ है। २-संबन्धः, ऐसा पाठ है । ३-तत्प्रतिषेध्यात्मक, पाठ भी है । ४-संभवतीति प्राप्तम, भी पाठ है।
SR No.010427
Book TitleNaishkarmya Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrevallabh Tripathi, Krushnapant Shastri
PublisherAchyut Granthmala Karyalaya
Publication Year1951
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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