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________________ ननगांणी परिवार ननगाणी परिवार मुलतान के प्राचीन परिवारो मे से है । उनके विषय मे किवदन्ती है कि आतूराम जी के पिता श्री उदयराम जी मुलतान के पास मुजफ्फरगढ मे रहते थे। उनका सोने, चादी एव कपडे का व्यवसाय था और वह मुजफ्फरगढ के नवाव मुजफ्फरशाह के यहा आते-जाते थे और उनसे धार्मिक वार्ताए होती थी। एक बार शाह ने उनके अहिंसा धर्म की परीक्षा लेने के लिए उन्हे एक छोटा शेर का बच्चा दिया और कहा कि अगर आपके अहिंसा धर्म मे ताकत है तो इसे मास के विना पालन-पोषण कर दिखाओ और इसे जैनी बना दो। वह उसे अपने घर ले आये और नित्य उसे हलुआ, रोटी आदि खिलाकर बड़ा करने लगे । जब दो वर्ष के करीव हो गया तो मुजफ्फरशाह के दरबार मे ले गये । जहा उसके सामने मास एव हलमा रखा गया, उसने मास को सूघ कर छोड दिया और हलुआ खाने लगा, तव वहा नवाव ने उन्हे बहुत सम्मान एव इनाम दिया तथा उस पर अहिंसा धर्म की बहुत छाप पडी और उसने सदैव के लिए मास खाना छोड दिया । उन्ही के पुत्र श्री आतूराम जी थे, जिनके श्री नत्थूराम, श्री सन्तीराम, श्री ताराचन्द जी तीन पुत्र थे। श्री नत्थूराम जी श्री नत्थूराम जी के श्री मघाराम जी एक पुत्र है । सवत् 1962 मे उनका जन्म हुआ था। उनके पिता वहा जमीदारी का कार्य करते थे, जिनका प्लेग महामारी मे स्वर्गवास हो गया । मघाराम जी मुलतान आकर रहने लगे। उनका विवाह काक्यावाली (पुत्री श्री उदयकरण जी) के साथ हुआ । किन्तु उनकी अल्पावस्था मे मृत्यु हो गई। मघाराम जी ने दूसरी शादी नही की अत उनके कोई सन्तान नही है । वह विभिन्न स्थानो पर कार्यरत रहे। इनको तीर्थ यात्राए करने का अतिशोक है यह सभी तीर्थ स्थानो की कई-कई बार यात्राए कर आये है । smina.... A .. श्री सन्तीराम जी श्री सन्तीराम जी का जन्म श्री आतूराम जी ननगाणी के घर मुलतान मे हुआ था । आपके श्री रूपचन्द एव श्री टीकमचन्द दो पुत्र थे । आपके पूर्वज मुफ्जफरगढ (मुलतान पाकिस्तान) मे रहते थे। आपने भी वहा पर व्यवसाय किया और बाद मे आप अपने परिवार को लाकर मुलतान मे आकर बस गये तथा व्यवसाय करने लगे। . - - 4 198 ] • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के मालोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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