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________________ 4 यी नानारामजी पो दानुगगजी माग गे हआ था मा समायो भी थे। mer : :: :ति उत्साह था। Ar:-:-:- :नामी उन कोटि मेगा. .. मापनी पत्नी मनोकामेही वर्गवारा हो नमामिने पत्नी का नाम नाम बाद दुर्घटना से युवावया मे मा गंवानो गया । आपके एक मात्र पुत्र श्री ठाकुरदास थे निकगीदिनी मे ही ग्वर्गवास हो गया। उनकी धर्मपत्नी का नाम पुष्पा देवी नजर है तथा दो पुत्रिया है। -AT श्री माधोदासजी श्री माधोदासजी भी श्री दासूरामजी [जिनदासमल] निगवी के सुपत्र है। आपका जन्म मुलतान में हुआ था । आप बहुत अच्छे व्यवसायी एव धर्मज्ञ, जिनेन्द्र भक्त व्यक्ति हे व देव पूजन मे आपकी बहुत अभिरूचि है। नमान मे कोई भी पूजन विधान आदि हो आपका उगमे प्रमुख योगदान रहता है और नित्य पूजन करना दिनचर्या में प्रथम कार्य है। पाकिस्तान बनने के पश्चात् आप जयपर मे आकर रहने लगे और फतहचन्द दासूराम हवेली, जैन कलर एण्ड केमिकल मर्चेन्टस्, नवाब सहाब की विपालिया बाजार मे व्यवसाय कर रहे है । आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती सोहन सापक श्री निहालचन्द एक पत्र एव एक पुत्री है। मस्थान--फतहचन्द दामूराम, नवाव सहाव की हवेली, त्रिपोलिया बाजार जयपुर निवास---593 गली नम्बर 3, आदर्शनगर, जयपुर-4 श्री निहालचन्दजी श्रा निहालचन्दजी जैन श्री माधोदास के एक मात्र पुत्र है । आप होनहार एव पाप्त है । अल्पावस्था मे ही आप आर ए एस की परीक्षा पास कर राज्य सेवा मे पदा पर कार्यरत रहे और कई बार दिल्ली आदि मे उच्च पदो पर राजस्थान से मोजस्वी व्यक्ति हे । अल्पा कई उच्च पदो पर काय मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे [ 123
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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