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________________ . -: -4. 6 + श्री बलभद्र कुमार जी का जन्म मुलतान नगर मे फतत्वद जी के पुत्र श्री दामूरामजी जिनदासमलजी, सिंगवी के घर मे हुआ । वचपन से ही आप मेधावी एव कुशाग्र बुद्धि छात्र थे, विनम्रता, सहनशीलता, धर्मनिष्ठता --- एव समाज सेवा मे आपके पिताजी का प्रभाव आप पर विशेष तौर पर पड़ा है । भारत विभाजन के पश्चात् जयपुर आकर आपने बी ए, हिन्दी मे "रत्न"-आदि कई परीक्षाए उत्तीर्ण की उमके साथ साथ ही आप अपने व्यवसाय को भी ! उन्नति के शिखर पर ले गये, पलस्वरूप रग के वहुत वडे व्यवसायी के रूप में उभर कर सामने आये। उसी प्रकार सामाजिक कार्यो मे भी आपने पूरी निष्ठा एन लगन के साथ कार्य किया व मदिर निर्माण कार्य मे आपने अपने साथियो के साथ वीस वर्ष तक तन, मन, धन से पूर्ण सहयोग देते हुए निर्माण कार्य को सम्पन्न कराया, साथ ही धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियो मे भी आप ... . . सर्वागीण अग्रणी रहे। __ श्री बलभद्र कुमारजी आप मुलतान दि० जैन समाज के मत्री पद पर रह चके हैं तथा कोपाध्यक्ष के १५पर तो लगभग वीस वर्ष तक रहे है तथा वर्तमान मे समाज के संगठन मन्त्री है। ___ महावीर कल्याण केन्द्र के औषधालय विभाग मे सचालक पद पर कार्य कन्ते हा सका उन्नति हुई है तथा औषधालय ने अच्छी ख्याति प्राप्त की हे यह सब आपके अथक परिश्रम का ही परिणाम है । जयपुर दि० जैन समाज मे राज जैन सभा, दि० जैन सस्कृत कालेज महावीर जन उ० मा० विद्यालय जैसी प्रख्यात कितनी ही सस्थाओ के आप सक्रिय सदस्य है। जा भी पद दिया जाता है उसे आप वडे सदर ढग ने सफलता पूर्वक निभाते है। ___ भगवान महावीर 2500 वा निर्वाण महोत्सव वर्ष के कार्यक्रमो मे ननिय योगदान कारण भगवान महावीर 2500 वा निर्वाण वर्ष महोत्सव समिनि जसपरभाग द्वारा आपको सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया है । इस प्रकार मलतान दिगम्बर जैन समाज आदर्शनगर जयप र एक ननम्न विगत समाज जयपुर के आप सफल उदीयमान ज्योतिर्मय नक्षत्र हैं । आपती धर्मपत्नी में श्रीमती निर्मला देवी है। आपके एक पत्र एब दो पत्रिया हैं। पिका व्यावसायिक संस्थान श्री फतवद दासूगम वन्दनमचंट बारहवेली, त्रिपोलिया बाजार, जयपुर मे है । नगर आपका निवास मकान न0 593, गली नम्बर-5 UH आपको जैन समाज जयप मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के जालोर में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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