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________________ आदर्शों का ध्वज फहरायेंगे आदर्श नगर के दिगम्बर जैन मन्दिर की उन्हें शत शत वंदन करता हू । भारत पाक विभाजन में रजत जयंती समारोह एवं सब कुछ खोया हुआ पुन. पा लिया, महावीर कीर्तिस्तम्भ के प्रतिष्ठा महोत्सव पर आपसी सहयोग एव सद्भाव से कुछ ही समय में मुलतान के जैन वन्धुओ का हार्दिक अभिनन्दन करता हू जिनने अपने अथक परिश्रम और सच्ची लगन से धर्म और सस्कृति के प्रतीक भव्य और विशाल जिनालय की स्थापना की । आदर्शनगर में, एक आदर्श जिनालय बना लिया विद्वज्जन प्रिय, जिनवाणी के भक्तो ने सरस्वती भडार भी बढाया है । इन पर महान विपत्ति आयी, धन-दौलत घर-बार लुटे, बिछुडे माता पिता वहिन और भाई, ऐसे समय में, धैर्य धारण कर जिनबिम्बो और जिनवाणी को भारत में सुरक्षित लाये अपने धर्म ईमान में दृट चिट्टी याद ही स्वयमेोग अनूपचंद न्यायतीर्थ जयपुर "'T सुनी अपने f:71 गिये। इनका जीवन बदल गया इस व्यवसाय प्रेमी समाज ने मनुष्य सब कुछ भूल कर स्वय को पा सकता है । इतना ही क्यो निर्वाण वर्ष मे जनोपयोगी औषधालय सत्य और अहिंसा का प्रतीक महावीर कीर्तिस्तम्भ भी लगाया है और उसी की प्रतिष्ठा हेतु परणार्थी बनकर आये किन्तु पुरुषार्थी कहो। यह मंगलमय महोत्सव मनाया है उनकी इच्छा और देव ने इनकी दैव शास्त्र गुरु मे दिल्ली और जयपुर मे बनाया हा समाज ने गले लगाया और अपनाया ये भी पनि टोडरमलजी को भूमि पर आप हो गये । तत्व चर्चा के प्रेमी जिज्ञासु वन्धुओ ने स्वाध्याय की परम्परा को निभाया है । इनकी सामूहिक पूजा एव भक्ति को देखकर हृदय गद्गद् हो जाता है आस्था अनुकरणीय है इनका मामाजिक संगठन और सद्भाव पारस्परिक प्रेम और लगाव अविस्मरणीय है इन से आशा है, आगे भी नमाज और राष्ट्र का गौरव बटायेगे अपनी कर्तव्यनिष्ठा से विश्वनाति में योग देकर भगवान महावीर के सिद्धात एव आदर्शों का ध्वज फहरायेंगे । अनूपचन्द न्यायतीर्थ प्रिती में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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