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________________ इसी प्रकार भगवान महावीर के निर्वाण महोत्सव दीपावली के दिन भी इनी मन्दिर मे सामूहिक रूप से एकत्रित होकर भगवान महावीर की पूजन. भक्ति आदि के माय लड चढाने का कार्यक्रम बडे हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न किया जाता है । प्रति वर्ष महावीर जयन्ती के दिन शोभायात्रा मे मुलतान दिगम्बर जैन नमाज की ओर से भजन मडली वडे उत्साह के साथ भाग लेती है और अपने आध्यात्मिक उपदेश । भक्ति आदि गीतो से शोभायात्रा मे आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। __ इस तरह से दिल्ली मे समय-समय पर होने वाले उत्सवो मे जमा कि भगवान महावीर का 2500वा निर्वाण वर्ष महोत्सव के उपलक्ष मे निकाली गई महान शोभायात्रा में मुलतान दि० जैन समाज ने विशेष उत्साह एव उल्लास के साथ भाग लिया और उनमें आकर्षक झाकी एव भजन मडली के माध्यम से महती धर्म प्रभावना की तथा गलाचायं मुनि विद्यानन्द जी के दिल्ली प्रवास के समय उनके सानिध्य में होने वाले कार्य प्रमो मे मलनान समाज के युवको एव महिलाओ ने सगीत-कविताए आदि देकर अच्छी धर्म प्रभावना मे योग दिया तथा अच्छी ख्याति प्राप्त की। व्यक्तिगत रूप से भी कई बार कई महानुभाव रात्रि जागरण. मनीत, उसन आदि कराकर अपनी धार्मिक प्रवृत्ति का परिचय देकर बच्चो मे धार्मिक नस्सार बनाने को प्रेरित करते रहते हैं । धार्मिक गतिविधियो के साथ-साथ लोकोपकारक कायों में भी नमाउ पछि नहीं । कई प्रकार से गुप्तदान मुलतान सेवा समिति के माध्यम से दीन दुनियोनी मेवा, नेत्र चिकित्सा शिविरो मे आर्थिक योग व विद्यार्थियो को पारितोपिन, सहायता माटिका भिन्न-भिन्न लोकोपकारक कार्यो मे भी मुलतान दिगम्बर जैन समाज दिली; " रहता है। यहा के युवको मे भी उत्साह कम नहीं है उनमे भी नगटिन मेरा कामना है । इसी से प्रेरित होकर उन्होने "मुलतान जैन परिपद" नाम : :बनाया जिसके माध्यम से वे आने वाले प्रत्येक धामिर एवनामााि की . उल्लासपूर्वक भाग लेकर कार्यान्वित करने मे तत्पर रहते हैं । इनके प्रेरक है श्री बद्धमेन मिगवी, साक्ष श्री जी " - .. कुमार एव निहालचन्द जैन, महामन्त्री बावपालन. मणी ..: :; अशोककुमार जैन, कोषाध्यक्ष इन्द्रकुमार जैन आयो , इस तरह मुलतान एव डेरागाजीवान : -: . . . ., ... : धार्मिक, सामाजिक एवं लोगोपचार पनियों की .:-- . . . . . . .. अप .TTARE... ...
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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