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________________ परिवार वालो ने अपनी ओर से वेदी वनवा देने की इच्छा व्यक्त की, जिसे समाज ने स्वीकार कर वेदी बनवाने की स्वीकृति दे दी। थोडे समय मे वेदी तैयार कराली गई। इसी बीच त्र पडित श्री पन्नालालजी प्रतिष्ठाचार्य जयपुर आये हुए थे, समाज ने उनसे वेदी प्रतिष्ठा करा देने का आग्रह किया, तव उन्होने जेठ कृष्णा सप्तमी वि० सवत 2019 दिनांक 26 मई सन् 1962 के दिन का शुभ मुहुर्त निकालकर उस दिन वेदी प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निधि पूर्वक करा देना सहर्ष स्वीकार किया जिससे समाज मे उल्लास एव उत्साह की नई लहर दौड गई । वेदी की विशालता को देखते हए कुछ महानुभावो के मन मे विचार आया कि मुलतान से लाई गई प्रतिमाओ मे कोई बडी मूर्ति नहीं है यदि इस वेदी के मध्य एक वडी प्रतिमा विराजमान हो जाये तो वेदी की अपूर्व शोभा बढ जायेगी। यह चर्चा जब समाज मे हुई तो बिहारीलालजी के सूपुत्र श्री घनश्यामदासजी सिगवी, दिल्ली ने बडी प्रतिमा विराजमान करने की अपनी इच्छा व्यक्त की, जिसे समाज ने सहर्ष स्वीकार कर अनुमति दे दी। भाग्योदय से उन्ही दिनो भीलवाडा (राजस्थान) मे पच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव होने जा रहा था। घनश्यामदासजी ने तत्काल साढे चार फुट पद्मासन गुलावी पाषाण की विशाल प्रतिमा भपालगज-भीलवाडा से वैसाख सुदी 11 वीर निर्वाण सवत् 2488, विक्रम सवत् 2019 सोमवार दिनाक 15 मई सन 1962 को प्रतिष्ठित कराकर आदर्शनगर मन्दिर मे ले आए। __ सम्पूर्ण मुलतान दिगम्बर जैन समाज दिल्ली जयपुर आदि ने मिलकर जेठ कृष्णा 7 वीर निर्वाण सवत 2488 विक्रम सवत 2019 दिनाक 26 मई सन् 1962 को बडे धूमधाम, होल्लास एव विधि विधान पूर्वक, धर्मालकार ब्र पडित पन्नालालजी प्रतिष्ठाचार्य से वेदी प्रतिष्ठा सम्पन्न कराई। प्रतिष्ठा सवधी विधि विधान सास्कृतिक कार्यक्रम बाहर से पधारे एव स्थानीय विद्वानो के प्रवचनो आदि के साथ साथ मुलतान से लाई गई प्रतिमाए जो शान्तिनाथ दिगम्बर जैन वडा मन्दिर तेरापथियान मे विराजमान थी, को विशाल-शोभा यात्रा सहित धूमधाम से लाकर बडी प्रतिमा सहित दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर की वेदी मे विधि पूर्वक-विराजमान किया । यह वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव श्री दासूरामजी तथा उनके पुत्र श्री रोशनलालजी गोलछा एव उनके लघुभ्राता स्वर्गीय श्री सुखानन्दजी गोलेछा के सुपुत्र श्री श्रीनिवास शकरलालजी तथा श्री प्रेमकुमारजी आदि के आर्थिक सहयोग से सम्पन्न हुआ। श्रीमान कवरभानजी के भी मकान मे जो चैत्यालय था वेदी प्रतिष्ठा के समय उन मूतियो को भी उत्साह पूर्वक शोभायात्रा सहित मन्दिर मे लाकर विराजमान कर दिया गया। ___ इस तरह से आदर्शनगर मन्दिर मे सभी साधर्मी जन मिल जुलकर उत्साह पूर्वक नित्य दर्शन पूजन शास्त्र स्वाध्याय आदि करने लगे। [ 73 • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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