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________________ दिल्ली तथा जयपुर मे मुलतान एव डेरागाजीखान से आये हुए दिगम्बर जैन वन्धु सगठित होकर रहने लगे और मुलतान दिगम्बर जैन समाज के नाम से पूरे देश मे विख्यात हो गये। पाकिस्तान से आये हए विस्थापितो को वसाने हेतु जयपर मे आदर्शनगर बसाया गया जिसमे जैन बन्धुओ को भी प्लाट आवटित किए गये तथा दिगम्बर जैन मन्दिर को भी जमीन प्राप्त हुई, जहाँ सम्पूर्ण मुलतान दिगम्बर जैन समाज ने अथक परिश्रम से अपने साधनो द्वारा विशाल एवं भव्य कलात्मक दिगम्बर जैन मन्दिर का निर्माण कराया। सन् 1962 ई में इस मन्दिर की वेदी प्रतिष्ठा बडे उत्साह एव उल्लास के साथ हुई इसके कुछ समय पश्चात् डेरागाजीखान से लाई गई प्रतिमाओ मे से चौवीस सनधातु की प्रतिमाओ को दिल्ली मुलतान दिगम्बर जैन समाज ने दिगम्बर जन लाल मन्दिर दिल्ली मे विराजमान रहने दिया, शेष को दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर जयपुर में विराजमान करने हेतु जयपुर भिजवा दिया जिन्हे विधि विधान एवं उल्लासपर्वक विराजमान कर दिया गया। इस प्रकार दिगम्बर जैन समाज डेरागाजीखान ने भी देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति एव धर्म के प्रति कर्तव्यपरायणता को निभाते हुए ऐसी विषम परिस्थितियो में अपने पुनर्स्थापन के साथ-साथ आदर्शनगर जयपर का मन्दिर निमाण कराने मे पूर्ण सहयोग देकर वहाँ से लाई गई मूर्तियो एव शास्त्र भण्डार आदि को भक्ति एव बहुमान के साथ विराजमान कराकर अपनी धर्मनिष्ठा का परिचय दिया। OOO 70 ] • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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