SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिर्फ ६ मासमें सर्व १००० प्रति पूर्ण होगई और मांग बराबर आती रहनेके कारण वीर सं० २४७५ मिती आषाढ़ सुदी २ को दूसरी आवृत्ति प्रति १००० की प्रकाशित करनी पड़ी ऐसे सुन्दर प्रकाशनको देखकर मेरी यह तीव्र भावना हुई कि अगर यह विस्तृत संकलन हिन्दी भाषामें अनुवाद होकर प्रकाशित हो तो हिन्दी भाषी एवं भारत भर के मुमुक्षु भाइयोंको इसका महान लाभ मिले अतः मैंने अपनी भावना श्री माननीय रामजी भाई को व्यक्त की लेकिन कुछ समय तक इस पर विचार होता रहा कि हिन्दी भापी समाज बड़े बड़े उपयोगी ग्रन्थों को भी खरीदने में संकोच करती है अतः बड़े ग्रन्थों के प्रकाशन में बड़ी रकम अटक जाने से दूसरे प्रकाशन रुक जाते हैं आदि आदि, यह बात सत्य भी है कारण हमारे यहाँ शास्त्रोंको सिर्फ मन्दिर में ही रखने की पद्धति है जो कि ठीक नहीं है, जिस प्रकार हरएक व्यक्ति व्यक्तिगतरूप से अलग अलग अपने अपने आभूपण रखना चाहता है चाहे वह उनको कभी कभी ही पहनता हो उसीप्रकार हरएक व्यक्ति को जिसके मोक्षमार्ग प्राप्त करने की अभिलाषा है उसको तो मोक्षमार्ग प्राप्त कराने के साधनभूत सत्शास्त्र आभूषणसे भी ज्यादा व्यक्तिगतरूपसे अलग २ रखनेकी आवश्यकता अनुभव होनी चाहिये, यही कारण है कि जिससे बड़े २ उपयोगी ग्रन्थोंका प्रकाशन कार्य समाजमें कम होता जारहा है, लेकिन जब अनेक स्थानोंसे इस मोक्षमार्गको हिन्दी भाषामें प्रकाशन कराने की मांग आने लगी तो अंतमें इसको हिन्दी भाषामें अनुवाद कराकर प्रकाशन करानेका निर्णय हुवा । फलतः यह प्रन्थराज सभाष्य आपको आज मिल रहा है, आशा है सर्व मुमुक्षुगण इससे पूरा पूरा लाभ उठावेंगे। इस टीकाके लिखने वाले व संग्राहक श्री माननीय रामजीभाई ने इसको तैयार करने में अत्यन्त असाधारण परिश्रम किया है, तथा अपने गम्भीर शास्त्राभ्यासका इसमें दोहन किया है, जब इस टीकाके तैयार करने का कार्य चलता था तब तो हमेशा प्रातःकाल ४ बजे से भी पहले उठकर लिखने को चैठ नाते थे। उनकी उम्र ७२ वर्ष के आसपास होने पर भी उनकी कार्य शक्ति बहुत ही आश्चर्यजनक है ! उन्होंने सं० २००२ के मंगसर
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy