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________________ अध्याय ८ सूत्र १ विपरीत अभिप्राय होनेके कारण मिथ्यादर्शन है । (५) जीव अनादिकालसे अनेक शरीर धारण करता है, पूर्वका छोड़कर नवीन धारण करता है; वहाँ एक तो स्वय आत्मा (जीव ) तथा अनंत पुल परमाणुमय शरीर-इन दोनोके एक पिंडबवनरूप यह श्रवस्या होती है, उन सबमे यह ऐसी अहंबुद्धि करता है कि 'यह मैं हूँ ।' जीव तो ज्ञानस्वरूप है और पुद्गल परमाणुओका स्वभाव वर्ण-गध-रस- स्पर्शादि है— इन सबको अपना स्वरूप मानकर ऐसी बुद्धि करता है कि 'ये मेरे हैं ।' हलन चलन आदि क्रिया शरीर करता है उसे जीव ऐसा मानता है कि 'मैं करता हूँ ।' अनादिसे इंद्रियज्ञान है - बाह्यकी ओर दृष्टि है इसीलिये स्वयं अमूर्तिक तो अपने को नही मालूम होता और मूर्तिक शरीर ही मालूम होता है, इसी कारण जीव अन्यको अपना स्वरूप जानकर उसमे हंबुद्धि धारण करता है । निजका स्वरूप निजको परसे भिन्न नही मालूम हुआ अर्थात् शरीर, ज्ञानादिगुण, क्रोधादिविकार तथा सगे संबंधियोंका समुदाय इन सबमें स्वय अहंबुद्धि धारण करता है, इससे और स्व के और शरीरके स्वतंत्र निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध क्या है वह नहीं जानने से यथार्थ - रूपसे शरीर से स्व की भिन्नता नहीं मालूम होती । (६) स्व का स्वभाव तो ज्ञाता दृष्टा है तथापि स्वयं केवल देखनेवाला तो नहीं रहता किंतु जिन २ पदार्थों को देखता जानता है, उसमें इष्ट निष्टरूप मानता है, यह इष्टानिष्टरूप मानना सो मिथ्या है क्योकि कोईभी पदार्थ इष्टानिष्टरूप नही है । यदि पदार्थोंमे इष्टअनिष्टपन हो तो जो पदार्थ इष्टरूप हो वह सभोको इष्टरूप ही हो तथा जो पदार्थ अनिष्टरूप हो वह सवको अनिष्टरूप ही हो, किंतु ऐसा तो नही होता । जीवमात्र स्वयं कल्पना करके उसे इष्ट-अनिष्टरूप मानता है । यह मान्यता मिथ्या है -कल्पित है । (७) जीव किसी पदार्थका सद्भाव तथा किसीके अभावको चाहता है किंतु उसका सद्भाव या अभाव जीवका किया हुआ नही होता क्योंकि कोई द्रव्य किसी अन्य द्रव्यका या उसकी पर्यायका कर्त्ता है ही नहीं, किन्तु समस्त द्रव्य स्व से ही अपने अपने स्वरूपमें निरंतर परिणमते हैं । ६१३*
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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