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________________ ५५ सूत्र नम्बर विषय ३० अविप्रहगतिमें आहारक अनाहारककी व्यवस्था ३१ जन्मके भेद ३२ योनियोंके भेद ३३ गर्भ जन्म किसे कहते हैं ? ३४ उपपादजन्म किसे कहते हैं ? ३५ सम्मूर्च्छन जन्म किसके होता है ? ३६ शरीरके नाम तथा भेद शरीरोंकी सूक्ष्मताका वर्णन ४६ आहारक शरीरका स्वामी तथा उसका लक्षण आहारक शरीरका विस्तारसे वर्णन लिग - वेदके स्वामी पत्र संख्या २६७ २६८ ३७ ३८ पहिले पहिले शरीरकी अपेक्षा आगे आगेके शरीरों के प्रदेश३६ थोड़े होंगे या अधिक १ ४० तैजस - कार्माण शरीरकी विशेषता ४१ तैजस - कार्माण शरीरको अन्य विशेषता ४२ - वे शरीर संसारी जीवोंके अनादि कालसे हैं ४३ एक जीवके एक साथ कितने शरीरोंका सम्बन्ध ? ४४ कार्मण शरीरकी विशेषता ४५ औदारिक शरीरका लक्षण ४६ वैकियिक शरीरका लक्षण ४७ देव और नारकियोंके अतिरिक्त दूसरोंके वैक्रियिक शरीर होता है या नहीं ? : २७६ ४८ वैक्रियिकके अतिरिक्त किसी अन्य शरीरको भी लब्धिका निमित्त है ? ५० ५१ देवोंके लिग ५२ अन्य कितने लिग वाले हैं ? ५३ - किनकी आयु अपवर्तन ( - अकाल मृत्यु ) रहित है ? २६६ २७१ २७१ २७२ २७२ २७३ २७३–२७४ २७४ २७५ २७६ २७६ २७७ २७८ २७६ २७६ २८० २८० २८२ २८२ २८३ २८३
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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