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________________ २५० सूत्र नम्बर विषय पत्र संख्या १० जीवके भेद २४२ संसारका अर्थ २४३ द्रव्य परिवर्तन, क्षेत्र परि० काल परि०-भव और भाव परिवर्तनका स्वरूप २४४ से ४८ भाव परिवर्तनका कारण २४८ मानव भवकी सार्थकताके लिये विशेष ११ संसारी जीवोंके भेद १२ संसारी जीवोंके अन्य प्रकारसे भेद (बस-स्थावर ) २५३ १३ स्थावर जीवोंके भेद २५३ इन पृथिवी आदिकोंके चार चार भेद २५४ १४ त्रस लीवोंके भेद १५ इन्द्रियों की संख्या १६ इन्द्रियोंके मूल भेद २५७ १७ द्रव्येन्द्रियका स्वरूप १८ भावेन्द्रियका स्वरूप (लब्धि-उपयोग) इस सूत्रका सिद्धान्त २५६ १६ पॉच इन्द्रियोंके नाम और क्रम २६० २० इन्द्रियोंके विषय २६० २१ मनका विषय २२ इन्द्रियों के स्वामी २६३ २३ इन्द्रियोंके स्वामी और क्रम २४ सैनी किसे कहते हैं ? २६४ २५ विग्रहगतिवान जीवको कौनसा योग है २६४ २६ विग्रहगतिमें जीव और पुद्गलोंका गमन कैसे होता है ? २६५ २७ मुक्त जीवोंकी गति कैसी होती है ? २८ संसारी लीवोंकी गति और उनका समय २६६ २६ अविप्रहगतिका समय -२६७ २५८ २६३ २६५
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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