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________________ ४२२ मोक्षशास्त्र उपरोक्त भेदोंमें 'सूक्ष्म' तथा 'संस्थान' (ये दो भेद) परमाणु और स्कंध दोनोंमें होते है और अन्य सब स्कंधके प्रकार हैं । (३) दूसरी तरहसे पुद्गलके छह भेद हैं १-सूक्ष्म-सूक्ष्म, २-सूक्ष्म, ३-सूक्ष्मस्थूल, ४-स्थूलसूक्ष्म, ५-स्थूल और ६-स्थूलस्थूल । १-सूक्ष्म-सूक्ष्म-परमाणु सूक्ष्म-सूक्ष्म है । २-सूक्ष्म-कार्माणवर्गणा सूक्ष्म है। ३-सूक्ष्म-स्थूल स्पर्श, रस, गंध और शब्द ये सूक्ष्मस्थूल हैं। क्योंकि ये आँखसे दिखाई नही देते इसलिये सूक्ष्म है और चार इन्द्रियोंसे जाने जाते हैं इसलिये स्थूल हैं। ४-स्थूल-सूक्ष्म-छाया, परछाँई, प्रकाश आदि स्थूलसूक्ष्म हैं क्योंकि वह आँखसे दिखाई देती हैं इसलिये स्थूल हैं और उसे हाथसे पकड़ नही सकते इसलिये सूक्ष्म है। ५-स्थूल-जल, तेल आदि सब स्थूल है क्योंकि छेदन, भेदनसे ये अलग हो जाते हैं और इकट्ठ करनेसे मिल जाते हैं । ६-स्थूल-स्थल-पृथ्वी, पर्वत, काष्ठ आदि स्थूल-स्थूल हैं वे पृथक् • करनेसे पृथक् तो हो जाते हैं किन्तु फिर मिल नहीं सकते। परमाणु इन्द्रिय ग्राह्य नही है तो इन्द्रिय ग्राह्य होनेकी उसमें योग्यता है । इसीतरह सूक्ष्म स्कंधको भी समझना चाहिये। (४) शब्दको आकाशका गुण मानना भूल है, क्योंकि आकाश अमूर्तिक है और शब्द मूर्तिक है, इसलिये शब्द आकाशका गुण नहीं हो सकता । शब्दका मूर्तिकत्व साक्षात् है क्योंकि शब्द कर्ण इन्द्रियसे ग्रहण होता है, हस्तादिसे तथा दीवाल आदिसे रोका जाता है और हवा आदि मूर्तिक वस्तुसे उसका तिरस्कार होता है, दूर जाता है। शब्द पुद्गल द्रव्यकी पर्याय है इसलिये मूर्तिक है। यह प्रमारणसिद्ध है। पुलस्कंधके परस्पर भिड़नेसे-टकरानेसे शब्द प्रगट होता है ॥२४॥
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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