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________________ १४-गाथा १५६ तथा टीका पत्र, २०३ ( तथा इस गाथाके नीचे पं०. श्री हेमराजजीकी टीका पत्र नं० २२० ) ( यह पुस्तक हिन्दीमें श्री रायचन्द्र ग्रन्थमालाकी देखना ) १५-गाथा, २४८ तथा टीका पत्र ३०४, [ तथा उस गाथा नीचे पं० हेमराजजीको टीका हिन्दी पुस्तक-रायचन्द्र ग्रंथमालाका ] १६-गाथा २४५ तथा टीका प० ३०१, १७-गाथा १५६ तथा टीका प० २०१, श्री अमृतचन्द्राचार्यकृत समयसारजी कलशोंके ऊपर श्री राजमल्लजी टीका (सूरतसे प्रकाशित ) पुण्य पापाधिकार कलश, ४ पत्र १०३-४, कलश, ५ पत्र, १०४-५ , ६, १०६ ( इसमें धर्मीके शुभभावोंको बन्ध मार्ग कहा है ) ॥ ८॥ १०८ , ६, १०६ , ११, ११२-१३ यह सभी कलश श्री समयसार पुण्य पापाधि ___ कारमे है वहाँसे भी पढ़ लेना, योगेन्द्रदेवकृत योगसार गाथा दोहा नं० ७१ में (-पुण्यको भी निश्वयसे पाप कहा है) योगेन्द्रदेवकृत योगसार गाथा दोहा नं० ३२, ३३, ३४, ३७, श्री गुन्दकुन्दाचार्य कृत मोक्षपाहुड़ गाथा ३१, समाधि शतका गाथा १६ पुरपा मि० उपाय गाथा २२० पगारित काय गाथा १६५, १६६-६७-६८-६६, श्री ग० गारजी फलाके कपर १. बनारगी नाटकमे पुण्य पाप म० कलग, १२ पृष्ठ १३१-३२ " ७ , १२६-२७ " ८ , १२७-२८
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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