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________________ अध्याय १ सूत्र १४ प्रश्न -नव यह मतिज्ञान किस कारण से होता है ? उत्तर - क्षायोपगमिक ज्ञानकी योग्यताके अनुसार ज्ञान होता है, ज्ञान होने का यह कारण है । ज्ञानके उस क्षयोपशमके अनुसार यह ज्ञान होता है; वस्नुके अनुसार नहीं; इसलिये यह निश्चित समझना चाहिये कि बाह्य वस्तु ज्ञानके होनेमे निमित्त कारण नही है । आगे नवमे सूत्रमें इस न्यायको सिद्ध किया है । जैसे दीपक घट इत्यादि पदार्थोंसे उत्पन्न नही होता तथापि वह अर्थका प्रकाशक है । [ सूत्र ८ ] जिस ज्ञानकी क्षयोपशम लक्षण योग्यता है वही विषयके प्रति नियम रूप ज्ञान होनेका कारण है, ऐसा समझना चाहिये [ सूत्र 8 ] जब आत्मा के मतिज्ञान होता है तव इंद्रियाँ और मन दोनो निमित्त मात्र होते है, वह मात्र इतना बतलाता है कि 'आत्मा', उपादान है । निमित्त अपने ( निमित्त मे ) शत प्रतिशत कार्य करता है किन्तु वह उपादानमे अंशमात्र कार्य नही करता । निमित्त परद्रव्य है, आत्मा उससे भिन्न द्रव्य है; इसलिये श्रात्मामे ( उपादानमे) उसका ( निमित्तका) अत्यन्त अभाव है । एक द्रव्य दूसरे द्रव्यके क्षेत्रमें घुस नही सकता; इसलिए निमित्त उपादानका कुछ नही कर सकता । उपादान अपने में अपना कार्य स्वतः शत प्रतिशत करता है । मतिज्ञान परोक्षज्ञान है यह ग्यारहवे सूत्रमे कहा है । वह परोक्षज्ञान है इसलिये उस ज्ञानके समय निमित्तकी स्वत अपने कारण से उपस्थिति होती है । वह उपस्थिति निमित्त कैसा होता है उसका ज्ञान करानेके लिए यह सूत्र कहा है; किन्तु - 'निमित्त आत्मामे कुछ भी कर सकता है' यह बतानेके लिये यह सूत्र नही कहा है । यदि निमित्त आत्मामे कुछ करता होता तो वह ( निमित्त ) स्वय ही उपादान हो जाता । थोर 'निमित्त भी उपादानके कार्य समय मात्र आरोपकारण है, यदि जीव चक्षुके द्वारा ज्ञान करे तो चक्षु पर निमित्तका आरोप होता है, और यदि जीव अन्य इन्द्रिय या मनके द्वारा ज्ञान करें तो उस पर निमित्तका आरोप होता है । ६३
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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