SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रध्यायः १ सूत्र ८ क्षेत्र और अधिकरणमें अंतर अधिकरण शब्द थोड़े स्थानको बतलाता है इसीसे वह व्याप्य है- और क्षेत्र शब्द व्यापक है, वह अधिक स्थानको बतलाता है । 'अधिकरण' शब्दके कहनेसे सम्पूर्ण पदार्थोका ज्ञान नही होता, क्षेत्रके कहनेसे सम्पूर्ण पदार्थोका ज्ञान होता है, इसलिये समस्त पदार्थोंके ज्ञान करानेके लिये इस सूत्रमे क्षेत्र शब्दका प्रयोग किया है । क्षेत्र और स्पर्शनमें अंतर *& 'क्षेत्र' शब्द अधिकरणसे विशेषता बतलाता है तो भी उसका विषय एक देशका है और 'स्पर्शन' शब्द सर्वदेशका विषय करता है । जैसे किसीने पूछा कि 'राजा कहाँ रहता है' उत्तर दिया कि 'फलाने नगरमे रहता है' यहाँ यद्यपि राजा संपूर्ण नगरमे नही रहता किन्तु नगरके- एकदेशमे रहता, है इसलिये नगरके एक देशमे राजाका निवास होनेसे 'नगर' क्षेत्र है । किसीने पूछा कि 'तेल कहाँ है ?' उत्तर दिया कि, 'तिलमे तेल रहता है' यहाँ संपूर्ण स्थानमें तेल रहनेके कारण तिल तेलका स्पर्शन है, इसतरह क्षेत्र और स्पर्शनमे अंतर है | क्षेत्र वर्तमान कालका विषय है और स्पर्शन त्रिकालगोचर विषय है । वर्तमानको दृष्टिसे घड़ेमें जल है किन्तु वह त्रिकाल नहीं है । तीनों कालमें जिस जगह पदार्थ की सत्ता रहती है उसे स्पर्शन कहते है । यह दूसरी तरह से क्षेत्र और स्पर्शनके बीच अन्तर है । काल और स्थितिमें अंतर 'स्थिति' शब्द कुछ पदार्थोके कालकी मर्यादा बतलाता है, यह शब्द व्याप्य है । 'काल' शब्द व्यापक है और यह समस्त पदार्थोकी मर्यादाको बतलाता है । 'स्थिति' शब्द कुछ ही पदार्थोका ज्ञान कराता है और 'काल' शब्द समस्त पदार्थोका ज्ञान कराता है । कालके दो भेद है ( १ ) निश्चयकाल (२) व्यवहारकाल । मुख्य कालको निश्चयकाल कहते हैं और पर्याय विशिष्ट पदार्थोकी मर्यादा बतलानेवाला अर्थात् घण्टा घड़ी पल आदि व्यव ७
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy