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________________ ४५ अध्याय १ सूत्र ७ प्रश्न-स्वर्गावतरण, जन्माभिषेक और दीक्षा कल्याणकरूप जिनमहिमा जिनविवके विना की जाती है इसलिये क्या जिन महिमादर्शनमें जिनविब दर्शनका अविनाभावित्व नही आया ? उत्तर-स्वर्गावतरण, जन्माभिषेक और दीक्षाकल्याणरूप जिन महिमामें भी भावी जिनविद्यका दर्शन होता है । दूसरी बात यह है कि इस महिमामे उत्पन्न होने वाले प्रथम सम्यक्त्व जिनविन दर्शन नैमित्तिक नहीं है, किन्तु जिनगुण श्रवण नैमित्तिक है । अर्थात् प्रथम सम्यक्त्व उत्पन्न होने में जिनगुण श्रवण निमित्त है। प्रश्न-जातिस्मरणका देवऋद्धि दर्शनमे समावेश क्यों नही होता ? उचर-अपनी अणिमादिक ऋद्धियोंको देखकर जव यह विचार उत्पन्न होता है कि जिन भगवानके द्वारा प्ररूपित धर्मानुष्ठानसे ये ऋद्धियाँ उत्पन्न हुई हैं तब प्रथम सम्यक्त्वकी प्राप्तिके लिये जातिस्मरण निमित्त होता है; किंतु जिस समय सौधर्मादिक देवोंकी महा ऋद्धियोंको देखकर यह ज्ञान उत्पन्न होता है कि सम्यग्दर्शन सहित संयमके फलसे-शुभभावसे वह उत्पन्न हुई है और मैं सम्यक्त्व रहित द्रव्य संयमके फलसे वाहनादिक नीच देवों मे उत्पन्न हुआ हूँ, उस समय प्रथम सम्यक्त्वका ग्रहण देवद्धिदर्शन-निमित्तक होता है । इसतरह जातिस्मरण और देवद्धिदर्शन इन दोनों कारणों में अंतर है। नोट:-नारकियोमें जातिस्मरण और वेदनारूप कारणोमे भी यही नियम लगा लेना चाहिये। प्रश्न-मानत, प्राणत, आरण और अच्युत इन चार स्वर्गाके मिथ्यादृष्टिदेवोके प्रथमोपशम सम्यक्त्वमें देवद्धिदर्शन कारण क्यों नही बतलाया ? उत्तर:-इन चार स्वर्गोमें महा ऋद्धिवाले ऊपरके देवोका आगमन नहीं होता इसीलिये वहाँ प्रथम सम्यक्त्वकी उत्पत्तिका कारण महाऋद्धिदर्शन कारण नही बतलाया, इन्ही स्वर्गोमे स्थित देवोकी महाऋद्धिका दर्शन प्रथम सम्यक्त्वकी उत्पत्तिका कारण नही होता, क्योकि बारबार इन ऋद्धियोके देखनेसे विस्मय नही होता । पुनश्च इन स्वर्गोमे शुक्ललेश्याके सद्भावके कारण महाऋद्धिके दर्शनसे कोई सक्लेशभाव उत्पन्न नहीं होता।
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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