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________________ ८६ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन बताया गया है । इसे प्रणववाचक भी कहा जाता है कीर्तिवाचक, ह्रीको कल्याणवाचक, क्षींको शान्तिवाचक, र्हको मगलवाचक, ॐको सुखवाचक, क्ष्वींको योगवाचक, हको विद्वेष और रोपवाचक, प्री प्रींको स्तम्भनवाचक और क्लीको लक्ष्मीप्राप्तिवाचक कहा गया है । सभी तीर्थकरोके नामाक्षरोको मंगलवाचक एव यक्ष-यक्षिणियोंके नामोंको कीति और प्रीतिवाचक कहा गया है। बीजाक्षरोका वर्णन निम्न प्रकार किया गया है . ॐ प्रणवध्रुवं ब्रह्मवीजं, तेजोवीजं वा, ओं तेजोवीजं, ऐं वाग्भवबीजं, लं कामबीज, क्रीं शक्तिषीज, हंसः विषापहारवीजं क्षीं पृथ्वीवीजं, स्वा वायुबीजं, हा आकाशग्रीजं, हां मायावीजं त्रैलोक्यनाथबीजं वा, क्रां कुशबीजं, ज पाशबीजं, फट् विसर्जनं चालनं वा, वौषट् पूजाग्रहण आकर्पण वा, संवोषट् आमन्त्रणम्, ब्लू द्वावण, कुं श्राकर्षण, ग् स्तम्मन, हाँ महाशक्ति, वपट् आह्वानन, रं ज्वलन, क्ष्वीं विषापहारबीज, ठः चन्द्रयीजं, घे घै ग्रहणवीजं, वैविबन्धों वा; द्वा द्वा क्ली ब्लूं सः पञ्चवाणी, द्वं विद्वेषणं रोषवीज वा, स्वाहा शान्तिक मोहक वा, स्वधा पौष्टिकं, नमः शोधनवीज, हं गगनवीजं, ह ज्ञानवीज, यः विसर्जन बीज उच्चारणं वा, य वायुवीज, जु विद्वेषणवीज, इवीं अमृतबीज, क्ष्व मोगवीज, हू ढण्डबीजम्, खः स्वादनवीज, झौं महाशक्तित्रीज, ह लव यू पिण्डवीज, हं मगलबीज सुखबीज वा, श्री कीत्तिबीज कल्याणवीज वा क्लीं घनबीज कुबेरवीजं वा, तीर्थकरनामाक्षरशान्तिवीज मागल्यबीज कल्याणवीज विघ्नविनाशकवीज वा अ भाकाशवीज धान्यवीज वा, अ सुखबीज तेजोवीज वा, ई गुणवीज तेजोवीज वा, उ वायुवीज, क्षा क्षीं क्षं क्ष क्ष क्ष क्ष रक्षाबीज, सर्वकल्याणर्वीजं सर्वशुद्वियीज वा, व द्रवणश्रीजं, य मगलवीज, शोधनबीज, यं रक्षायीज, अं शक्तिबीज तथ कालुप्यनाशक मंगळवर्धक च । - वीजकोश अर्थात् - ओ प्रणव, ध्रुव, ब्रह्मवीज या तेजोवीज है । ऐं वाग्भव वीज,
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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