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________________ मगलमन्त्र णमोकार · एक अनुचिन्तन ६५ । ___ अर्थात्-यह णमोकार मन्त्र, जिसमे पंचपरमेष्ठीको नमस्कार किया गया है, सभी प्रकारके पापोको नष्ट करनेवाला है। पापीसे पापी व्यक्ति भी इस मन्त्रके स्मरणसे पवित्र हो जाता है तथा सभी प्रकारके पाप इस महामन्त्रके स्मरणसे नष्ट हो जाते हैं । यह दधि, दूर्वा, अक्षत, चन्दन, नारियल, पूर्णकलश, स्वस्तिक, दर्पण, भद्रायन, वर्धमान, मत्स्य-युगल, श्रीवत्स, नन्द्यावर्त आदि मगल-वस्तुओमे सबसे उत्कृष्ट मगल है। इसके स्मरण और जपसे अनेक प्रकारकी सिद्धियां प्राप्त होती हैं । अमगल दूर हो जाता है और पुण्यकी वृद्धि होती है। तात्पर्य यह है कि किसी भी वस्तुकी महिमा उमके गुणोंके द्वारा व्यक्त होती है। इस महामन्त्रके गुण अचिन्त्य हैं। इसमे इस प्रकारकी विद्युत् शक्ति वर्तमान है जिससे इसके उच्चारण मापसे पाप और अशुभका विध्वंस हो जाता है तथा परम विभूति और कल्याणकी प्राप्ति होती है । इस महामन्त्रकी महिमा व्यक्त करनेवाली अनेक रचनाएं हैं। इसमे णमोकारमन्त्रमाहात्म्य, नमस्कारक्ल्प, नमस्कारमाहात्म्य आदि प्रधान हैं। कहा जाता है कि जन्म, मरण, भय, पराभव, क्लेश, दुख, दारिद्रहो आदि इस महामन्त्रके जापसे क्षण भरमे भस्म हो जाते हैं । इसकी अचिशरीर महिमाका वर्णन णमोकारमन्त्र-माहात्म्यमे निम्न प्रकार बतलाया गया उत्पन्न मन्त्रं संमारसारं निजगदनुपमं सर्वपापारिमन्नं आत्माको संसारीच्छेदमन्त्रं विपनविषहरं कर्मनिर्मूलमन्त्रम्। ।जा सकता मन्नं सिविप्रनान शिवमुख जनन केवलज्ञानमन्त्रं इसना शक्ति मन्त्र श्रीजैनमन्त्रं जप जप जपितं जन्मनिर्वाणमन्त्रम भय्य निहित है। ____इसके द्वारा भूत, ग्राष्टिं सुरसंपदा विदधते मुक्तिधियो वश्य उचाट विपदा चतुर्गतिभुवां विद्वेषमात्मनसा स्तम्म दुर्गमन प्रति प्रयततो मोहम्य संमार मोकार भी पानापन्नमस्कियाक्षरमयी माराधना दे
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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