SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८ । 7 - - २२२ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन लगायेगा, उसे उतना ही अधिक फल प्राप्त होगा। यह सत्य है कि इस मन्त्रकी साधनासे शने -शनैः आत्मा नीरोग-निविकार होता जाता है। आत्मबल बढ़ता जाता है। जहां तक सम्भव हो इस महामन्त्रका प्रयोग आत्माको शुद्ध करनेके लिए ही करना चाहिए । लौकिक कार्योंकी सिदिके लिए इसके करनेका अर्थ है, मणि देकर शाक खरीदना. अतः मन्त्रको सहायतासे काम-क्रोध-लोभ-मोहादि विकारोको नष्ट करना चाहिए । यह मन्त्र मंगलमन्त्र है, जीवनमे सभी प्रकारके मगलोंको उत्पन्न करनेवाला है.। अमगल - विकार, पाप, असद् विचार आदि सभी इसकी आराधनासे नष्ट हो जाते हैं। नमस्कार माहात्म्य गाथा पच्चीसीमे बताया गया है । जिण सासणस्स सारो चउदस पुवाण सो समुद्धारो. जस्स मणे नवकारो संसारे तस्य किं कुणई ॥ एसो मंगल-निलओ मयविलमो सयलसंघसुहजणमो. नवकारपरममंतो चिंति भमित्तं सुहं , देई नवकारभो भो सारो मंतो न भस्थि तियलोएतम्हाहु अणुदिणं 'चिय, पठियन्वो परममत्तीए॥ हरइ दुई कुणइ सुहं जणइ जस सोसए भवसमुई । इहलोय-परलोइय-सुहाण मूलं नमोक्कारो । अर्थात्-यह णमोकार मगल मन्त्र जिन-शासनका सार और चतुर्दशपूर्वोका समुद्धार है। जिसके मनमे यह णमोकार महामन्त्र है। संसार उसका कुछ भी नहीं विगाड़ सकता है। यह मन्त्र मगलका आगार भयको दूर करनेवाला, सम्पूर्ण चतुर्विध संघको सुख देनेवाला और चिन्तनमानसे अपरिः मित शुभ फलको देनेवाला है। तीनों लोकोंमें णमोकार मन्त्रसे बढ़कर कुछ भी सार नही है, इसलिए प्रतिदिन भक्तिभाव और श्रद्धापूर्वक इस मन्त्रको पढ़ना चाहिए । यह दुखोंका नाश करनेवाला, सुखोको देनेवाला, यशको उत्पन्न करनेवाला और संसाररूपी समुद्रसे पार करनेवाला है। इस मन्त्रके समान इहलोक और परलोकमें अन्य कुछ भी सुखदायक नहीं है। FERE 1 114 1 . rans ripA4. .. "
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy