SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९६ मगलमन्त्र णमोकार · एक अनुचिन्तन "इत्थ ज्ञात्वा महामन्यैः कर्तव्य परया मुदा। सारपञ्चनमस्कार-विश्वासः शर्मदः सताम् ।।" अर्थात् णमोकार मन्त्रका विश्वास सभी प्रकारके सुखोंको देनेवाला है । जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस महामन्त्रका उच्चारण, स्मरण या चिन्तन करता है, उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इस महामन्त्रकी महत्ता बतलानेवाली एक कथा दृढसूर्य चोरकी भी इसी कथाकोशमे आयी है। बताया गया है कि उज्जयिनी नगरीमे एक दिन वसन्तोत्सवके समय धनपाल राजाको रानी बहुमूल्य हार पहनकर वनविहारके लिए जा रही थी। जब उसके हारपर वमन्तसेना वेश्याकी दृष्टि पडी तो वह उसपर मोहित हो गयी और अपने प्रेमी दृढसूर्य से कहने लगी कि इस हारके बिना तो मेरा जीवित रहना सम्भव नहीं। अत किसी भी तरह हो, इस हारको ले आना चाहिए। दृढसूर्य राजमहलमे गया और उस हारको चुराकर ज्यो ही निकला, त्यो ही पकड लिया गया। दृढसूर्य फांसीपर लटकाया जा चुका था, पर अभी उसके शरीरमे प्राण अवशेष थे। संयोगवश उसी मार्गसे धनदत्त सेठ जा रहा था । दृढ़सूर्य ने उससे पानी पिलानेको कहा। सेठने उत्तर दिया - "मेरे । गुरुने मुझे णमोकार मन्त्र दिया है। अत मैं जवतक पानी लाता हूँ, तुम इसे स्मरण रखो।" इस प्रकार दृढसूर्यको णमोकार मन्त्र सिखलाकर धनदत्त पानी लेने चला गया। दृढसूर्यने णमोकार मन्त्रका जोर-जोरस उच्चारण आरम्भ किया । आयु पूर्ण होनेसे उस चोरका मरण हो गया और वह णमोकार मन्त्र के प्रभावसे सौधर्म स्वर्गमे देव हुआ। ___ जम्बूम्वामी चरितमे आया है कि सेठ अर्हद्दासका अनुज सप्तव्यसनोमे आसक्त था। एक बार यह जुएमे बहुत सा धन हार गया और इस धनकी न दे सकनेके कारण दूसरे जुआरीने इसे मार-मारकर अधमरा कर दिया। अहहासने अन्त समयमे णमोकार मन्त्र सुनाया,जिसके प्रभावसे वह यक्ष हुआ। इस प्रकार णमोकार मन्त्रके प्रभावसे अगणित व्यसनी और पापी व्यक्तियाने
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy