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________________ नः छप्पय तिहूंकारावरद्रव्य पदारथेन। तुमभाषे । सानतत्व- पंचास्तिकायंट काय करावे वा ठकर्मगुन चारभेदले स्पा घटाने पंचपंच समितचरितगतिमानवाने |सरधैपती तिरुचिमन धेरै मूक तिमूलसमकित यही पदनमै जार करि सीसधर धनिसरखतयह विधि कही। ३२ इथ३क सौ साठा निन्यानवैकुलको डिक थन। सवैया ३२॥ प्रथ्वी काय वीस दोय जल सात तेज तीन वायु सात तर वीस आठ परवानिये। वैतेनोइंट्री सात-आठ नवखा वारे जलचर साढेवारै चोपेदसजानिये। सिरी सर्प नवनार की पचीस नर चौदेदेवता छवीसकुल लाखको डिमा निये। दोय कोड़ा कोडमा हि प्राधलाय को डिना हितक्कै निहारि कैदयालभाव चानिये। ३३ प्रयापार भेदक गिनती नांम॥ यय ग्यार कयद एक कदमसवप दयानी पूरव चौदे गंगवीस अन्तर जिनवानी । उनतीस क मनुष्य पल्प पैतालीस अक्षर। सरसौकंड घ्याल डेटसी अक्षर चितिवर) इकतीस अंक पलक लय के जंबू फलावट दस वर सक्वातवलयम्पारे वरणा धन्यजैनसंसय हरण | ३४ | अथ तेर में गुणास्थान सा तचभंगी कथन छप्यय] सातच्या श्रव द्वार वंधइक सा ताक हिये। चौदह भावप्रमारायच्या सीसा त्ताल हियै प्र
SR No.010419
Book TitleMahavira Vardhaman
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1115
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size56 MB
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