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________________ दूजो बरस : ऋपभदत्त अर देवानन्दा नै प्रतिबोध : गांव-गांव विचरण करता हुया भगवान महावीर ब्राह्मण कुण्ड ग्राम में पधार र बहुसाळ चैत्य में विराजिया। भगवान रे श्रावण री बात सगळी जगां फैलगी ही । पडित ऋषभदत्त देवानन्दा ब्राह्मणी र सागै प्रभु रै दरसण खातर आया। भगवान नै देखताई देवानन्दा रै मन में प्रेम उमड़ आयो। खुसी झूवीको मन हरखियो। कंठ गळगळो सो व्हैग्यो । हिवडो हेत सूभाग्यो। वात्सल्य भाव रे वेग सूबोबा सूदूध री धारा बेवरण लागी । या अनोखी घटना देख गणधर गौतम भगवान महावीर सूई को कारण पूछियो । भगवान बोल्या-गौतम ! प्रा देवानन्दा ब्राह्मणी म्हारी माता है। त्रिशला क्षत्रियागी रै गरभ सूजनम लेवरण रै पैला म्हैं बयासी रातां माता देवानन्दा रै गरभ में पूरी करी । भगवान री बात सुरण सारी सभा चकित रैयगी। ऋषभदत्त पर देवानन्दा दोन्यू नै घणो अचभो हुयो। इसा भाग्यशाली पुत्र री मां हुवरण री नात सुरण देवानन्दा हरखी अर पछ पुत्र रा बतायोड़ा मारग पर चालण रो सकल्प करियो पर दीक्षा लेयर ऋषभदत्त गणधरां रै अर देवानन्दा चन्दनबाळा रै नेश्राय में तप साधना करी। प्रियदर्शना अर जमालि री दीक्षा : ब्राह्मणकुण्ड सू प्रभु क्षत्रियकुण्ड ग्राम (महावीर री जनम भूमि) पधारिया। प्रभु रै आवरण री खबर सुण पाखो गाम हरखियो । महावीर री पुत्री प्रियदर्शना अर जवांई जमालि पण भगवान रा दरसरण नै आया पर वांकी इमरत वाणी सुरणी। भगवान रो उपदेश सुणता ई जमालि नै संसार सूवैराग्य हुयग्यो। मां-बाप रो मोह, आई राणियां रोप्यार, अर राजलिछमी रो लोभ
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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