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________________ परम भगत पर अनुयायी हा । उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मांध्रप्रदेश ताई पार्श्वनाथ रो घणो प्रभाव हो। पार्श्वनाथ पर महावीर रै समै में लगभग ढाई सौ बरसा रो प्रतिरो है। इण बीच पाश्वं रा उपदेश पर वांकी श्रमण परम्परा अविच्छिन्न रूप सूचालती रैयी। महावीर रो मातृकुल पर पितकुल पार्श्व परस्परा रोइज अनुयायी हो। केवळज्ञान प्राप्त करिया पाछै महावीर जद उपदेश देवण लाग्या, तद पार्श्वनाथ परम्परा रा मुनि केशि श्रमण मौजूद हा । २४. महावीर : चौवीसवां तीर्थकर भगवान महावीर हुया । इणां रो लांछण सिह है। महावीर तीर्थ कर परम्परा रा आखरी तीर्थकर है। वीर, अतिवीर सन्मति, वर्धमान आदि अनेक नामां सूपाप याद करिया जावै । भगवान महावीर रो जनम आज सू २५७३ बरसां पैली इणीज भारत भूमि पै हुयो। आगे रा अध्यायां में महावीर ₹ जीवरण पर शिक्षवां री प्रोळिखारण है।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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