SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५ एक बगीचे में प्राय'र ध्यान मगन हुया । माघ महिनो हो । सुनसान जंगल में ठंडी वरफीली हवा चाल री ही । उरण समै कटपूतना नामरी देव कन्या रै मन में ध्यान मगन महावीर नै देख पूरब जनम रो बैर जाग्यो। वीं महावीर रो ध्यान भंग करण खातर विक राळ रूप धारण करियो । विखरियोड़ी जटावां मे वी वरफ जिसो ठंडो पाणी भर'र महावीर रै उघाड़े सरीर माथ जोरदार बरसात कीवी। महावीर इण उपसर्ग सूतनिक भी विचलित नी हुया । कस्ट अर तकलीफा सूवारी साधना रो तेज और निखरयो । वार धीरज पर हिम्मत र आगे कटपूतना रो वैर सांत हुयग्यो । वी प्रभु र चरणा में सिर नवाय माफी मांगी। सातमो वरस : ... महावीर प्रो चौमासो अालंभिया नगरी में बितायो । अठा सूवी कडाग पर भरणा सन्निवेस होता हुआ बहुमाल गांव पधारिया । अठ शालार्य नाम री देवी महावीर नै घणा उपसर्ग दिया पण वी पापणे ध्यान सूतनिक भी विचलित नी हुया। पाठमो बरस : __ भद्दणा सू विहार कर महावीर लोहार्गला पधारिया । अठ पडोसी राजावां में आपसी झगड़ा हा । ई कारण नगर मे प्रवेस करण पर पाबंदी ही । विगर अोळखाण करियां किरणी नै नगर में प्रवेस नी दियो जावतो। महावीर सू भी उणारो परिचय पूछयो । वांनै मौन देख अधिकारियां उणांन राजा जितसच रै साम हाजर किया । बठे निमितज्ञ उत्पल आयोड़ो हो । बी राजा ने महावीर री ओळखारण कराय दी। राजा महावीर रै तप-त्याग सूघणो प्रभावित हुयो।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy