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________________ कांनी चालिया। वीचे मोराक सन्निवेस पड़तो हो, सूनी ठौड़ देख महावीर थोड़ा दिन बठेइ ध्यान करण रो विचार कियो । कड़कड़ाती ठंड में महावीर नै उघाड़े सरीर कठोर साधना करतां देख पाखो गांव वरणारं दरसण खातर आयो । महावीर री ध्यान साधना सू प्रभावित हुयर घरणा मिनख वारा भगत वरणग्या । महावीर दक्षिण वाचाला सूजाय ऱ्या हा के सुवर्ण वाळ का नदी रे किनारं री एक झाड़ी में उरणार कांधा पर पड़ यो देवदुष्य वस्त्र उलझ'र अटकग्यो । ई घटना रै पर्छ वा कदैइ वस्त्र धारण नी करिया। चण्डकोसिक नाग नै प्रतिबोध : महावीर कनखळ पाश्रम सूउत्तर वाचाला कांनी जायऱ्या हा । उण रस्ते मे एक भयङ्कर नाग रैवतो हो । वीरो नाम चडकोसिक हो। महावीर ने इण रस्ता सूजावतां देख एक गवाळिये हाको पाड़'र कयो-महात्माजी ! इण रस्त मती जायो । अठीने भयङ्कर काळो नाग रैवै है। बो दृष्टिविष सरप है । वीके देखतां पारण मिनख पर जिनावर मर जावै । प्रो हरियो-भरियो वनखंड इणीज सरप री विष दृस्टि सूउजड़ग्यो है। पण महावीर पर ई वात रो काई असर नी पड़ियो। वान नी तो जिनगाणी री चावना ही अर नी मौत रो डर । वी तो चण्ड नै प्रतिबोध देणौ चावता हा । इण कारण लोगां रै विरोध करवा पर भी वां आपरणी गैल नी बदली। वै उगगीज रस्तै गया अर जा'र सरपरी बांवी माथै ध्यान मगन हुयग्या। वांवी माथै उभियौडा मिनख नै देख चण्डकोसिक आगबवूलो हुयग्यो । वी खूब जोरां सूफुफकार करी पर किरोध में प्राय महावीर रे चरण नै डस लियो। पण महावीर इण सूतनिक भी नी
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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