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________________ ब म. बी. । ढाईसौ मध्यम परिषदके देव हैं और तुमारी आज्ञाके पालनेवाले पांचसौ वाहिरकी सभाके पु. भा. 12 देव हैं । ये चार लोकपालदेव कोतवालकी तरह हैं, इन लोकपालोंकी हरएककी सुंदर है बत्तीस २ देवी हैं वे सुखकी खानि हैं । तुमसे प्रेम करनेवाली तुमारी आज्ञा पालने॥४०॥ वाली और रूप सुंदरतासे शोभायमान ये आठ महादेवीं आपके सामने मौजूद हैं। इन महादेवियोंकी परिवारकी देवीं तीन ज्ञान तथा विक्रियासे पूर्ण ढाईसौ हैं। ये त्रेसठ । वल्लभिका देवीं महानरूप संपदासे आपके चित्तको हरनेवाली हैं। ये दोहजार एक हत्तर, देवियां सव पंडिता ( पढानेवाली ) हैं । वे महादेवी हरएक दसलाख चौवीस हजार ६ दिव्यरूपोंकी विक्रिया कर सकती हैं यानी एक देवी इतनी स्त्रियोंके रूप बना सकती है। है। हाथी घोडे रथ पयादे बैल गंधर्व नाचनेवालीं ये सात सेनाके देव हैं । इनमेंसे हर एक है। सेनाकी सात सात पलटनें हैं और प्रत्येक पलटनके सेनापतीदेव हैं । पहली हाथ की B सेनामें वीस हजार हाथी हैं और शेप सेनामें दूने २ हैं । इसीतरह घोडोंकी सेनाको आदि लेकर छह सेनाओंमें दूने २ हैं वे सब तुमारी सेवामें ही चितलगाये हुए हैं। एक एक देवीकी अप्सराओंकी तौन सभाए हैं वहांपर गीत नृत्य वजानें 13 आदिकी कला दिखाई जाती है । पहली परिपद ( सभा )में पचीस अप्सरा हैं। दूसरीमें : ॥४०॥ 18 पचास और तीसरीमें सौ अप्सरायें हैं । हे नाथ तुमारे अद्भुतपुण्यके उदयसे ये दिव्य MPOPOPR E MOJrs
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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