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________________ लन्छन् Pelaee है। सर्वके जाननेवाले आपको नमस्कार है अनंतगुणस्वरूप आपको नमस्कार है । दोषरहित 2 आपको नमस्कार है परमबंधु आपको नमस्कार है मंगलस्वरूप आपको नमस्कार है । लोकोंमें उत्तम आपको नमस्कार है । सब जगतके शरणरूप आपको नमस्कार है मंत्रमूर्ति । आपको नमस्कार है। वर्द्धमान आपको नमस्कार है :महावीर आपको नमस्कार है सन्मति आपको नम2ी स्कार है विश्वके हितस्वरूप आपको नमस्कार है तीन जगतके गुरु आपको नमस्कार है। और हे देव अनंतसुखके समुद्र आपको नमस्कार है । इसमकार स्तुति नमस्कार भक्ति है। रागसे उत्पन्न धर्मके प्रसादसे मैं परम दाता तुमसे तीन लोककी लक्ष्मी नहीं मांगता परंतु है। हे नाथ आप अपनीसी सव संपदाको मुझे दो । जो संपदा कर्मोंके नाशसे उत्पन्न हुई है? 2 अनंत सुखके करनेवाली है नित्य है जगतसे नमस्कार की गई है। क्योंकि इस पृथ्वीपर आप परम दाता है और मैं महालोभी हूं इसलिये यह मेरी प्रार्थना आपके प्रसादसे सफल होवे । हे देव तुम ही इंद्रोंसे पूजित चरण हो तुम ही धर्मतीर्थ उद्धारक हो तुम ही कर्मरूपी वैरीके नाश करनेवाले हो तुम ही महा योधा ॥१११॥ के हो तुम ही जगतके निर्मल दीपक हो तुम ही तीन लोकके तारनेमें एक चतुर हो तुम ही।
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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