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________________ भंगियोंके समान किल्विषिक जातिके देव भक्तिसहित सौधर्म इंद्रके साथ उस महोसत्सवमें निकलते हुए। | घोड़ेकी सवारीपर चढा हुआ धर्मबुद्धि ऐशान इन्द्र भी अपनी विभूति ( ठाठ ) ||सहित भक्तिवंत होकर उस इंद्रके साथ चलता हुआ । सिंहकी सवारीपर चढा हुआ सन-11 Maleकुमार इंद्र, दिव्य बैलपर चढा हुआ सब सामग्रीसहित माहेंद्रस्वामी, दैदीप्यमान सार-18 सकी सवारीपर चढा देवोंसहित ब्रह्म इंद्र, हंसकी सवारीपर चढा महान् ऋद्धिवाला कालांतवेंद्र, दीप्तिमान् गरुडपर चढा शुक्रंद्र, सामानिकादि देवों तथा देवियों सहित केवलMज्ञानकी पूजाके लिये निकलते हुए । आभियोग्यदेवों से उत्पन्न मोरकी सवारीपर चढा ६ हादेवदेवियों सहित शतार इंद्र भी निकलता हुआ। वांकीके आनत आदि कल्पोंकी स्वामी चार इंद्र पुष्पक विमानपर चढे हुए ज्ञानकल्याणकके लिये निकलते हुए । इस प्रकार कल्प स्वर्गोंके वारह इंद्र अपनी २ संप-||| दाओंसहित वारह प्रतींद्रों सहित अपनी २ सवारियोंपर चढे हुए ढोल आदि वाजोंके । महान् शब्दोंसे सव दिशाओंको पूरित करते अपने शरीरके आभूपणोंकी किरणोंसे) आकाशमें इंद्रधनुप फैलाते हुए करोड़ों धुजा छत्र आदिकोंसे आकाशके भागको ढंकते AIहुए · जय हो जीवो' इत्यादि शब्दोंसे दिशाओंको बधिर करनेवाले गीत नृत्य वाजे Pron - छल्ल
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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