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________________ [ ε J सवप्रथम भारतन्छु मामिकता और आषक शैला न हिन्दा लेखक वा प्रभावित किया का मराठीस अनूदित पूर्ण प्रकाश और चमना' प्रकाशित हुन्न तदन्तर बगला भारतेन्दु ने 'राजसिंह', राधाकृष्णदास ने 'स्वर्णलता', 'पतिप्राणा चचता', 'मरता न क्या करता ?', और 'राधारानी', गदाधर सिंह ने 'दुर्गेशनन्दिनी' और बंग विजेता', किशोरीलाल गोस्वामी ने ‘दीप-निर्वाण' और 'विरजा' बालमुकुन्द ने मडेलभगिनी', प्रतापनरायण मिश्र ने ‘राजसिह’. ‘इ ंदिरा’, ‘राधारानी', 'युगुलागुलीय' और 'कपाल-कुडला', कार्तिकप्रसाद खत्री 'ने 'इला', 'प्रमीला', 'जया', 'कुलटा', 'मधुमालती' और 'दलित कुसुम' तथा अन्य ग्वा ने और भी अनेक अनुवाद किये । अँगरेजी की 'सम्बूसटेल्स फ्राम शैक्सपियर' का काशीनाथ स्त्री और 'श्रोत' का गदाधरसिह ने अनुवाद किया । गरेजी में किए गए, अन्य अनुवादों मे रामचन्द्र वर्मा के अमला वृतात-माला'. 'असार-दर्पण', 'ठग-वृत्तात-माला' और 'पुलिम त्रृत्तातमाला' एव सस्कृत में अनूदित उपन्यासों में गदाधर सिंह का ' कादबरी और काशीनाथ का 'चतुरसखी' उल्लेखनीय है। स्वरूपचन्द जेन ने मराठी और गमचन्द्र वर्मा ने उर्दू उपन्यासों के हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किए । हिन्दी साहित्य मे उपन्यासों की आधी मारतेन्दु के उपरान्त आई। देश के राजनेति सामाजिक, धार्मिक आदि ग्रान्दोलनों ने उपन्यास-वकी को भी प्रभावित किया । वालकृष्ण भट्ट के "नूतन ब्रह्मचारी' (८६) तथा 'भौ अज्ञान और एक सुजान' में किशोरीलाल गोस्वामी के 'त्रिवेणी' (८८) 'स्वर्गीय कुसुम' (८६) 'हृदयहारिणी' (६०), 'लवंगलता' ( ६० ) और 'मुखशर्वरी' ( ४१ ). राधाचरण गोस्वामी के 'विधवा विपत्ति' (द), राधाकृष्ण दाम के 'निम्सहान हिन्दू' (६०), गोपालराम गहमरी के नये बाबू' ( ६४ ), 'बडा भाई' (६८) और 'सास पतोहू' ( ६८ ), कात्तिकप्रसाद खत्री के 'दीनानाथ' तथा मेहता ज्वालाराम शर्मा के 'स्वतंत्र रमा' और 'परतंत्र लक्ष्मी' (६६) एवं 'धूर्त' रसिकलाल' (६६) आदि उपन्यासों में नीति, शिक्षा, समाज-सुधार, राष्ट्रीयता, रति, पराक्रम आदि के विविध चित्र अंकित किए गए । 'त्रिवेणी' में सनातन धर्म की श्रेष्ठता और अन्य धर्मावलंबियों के 'स्वर्गीयमार्मिक, साहित्यक एवं सांस्कृतिक आक्रमणां में आत्मरक्षा करने का आदेश, कुसुम' में देवदासी प्रथा की निन्दा, 'लवंगलता' और 'कुसुम कुमारी' में वीरागनाओं की बोना, 'निस्सहाय- हिन्दू' में मुसलमानों के धामिक अत्याचार, हिन्दु की दुर्दशा और रेजी शासन के गुणगान तथा गहमरी के उपन्यासों में भारतीय जीवन और उस पर हुए विदेशी संस्कृति के मात्र का निर्देशन है । A पडते भारतीय जीवन की शुद्ध और मरल मिका मरचित बन # आव
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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